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तीन चापाकल से बुझ रही है कांटाडीह के ग्रामीणों की प्यास

खरसावां प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर पाहाड़ियों की तलहटी में बसा है बिटापुर पंचायत का कांटाडीह गांव।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 07:27 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 06:15 AM (IST)
तीन चापाकल से बुझ रही है कांटाडीह के ग्रामीणों की प्यास
तीन चापाकल से बुझ रही है कांटाडीह के ग्रामीणों की प्यास

संवाद सूत्र, खरसावां : खरसावां प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर पाहाड़ियों की तलहटी में बसा है बिटापुर पंचायत का कांटाडीह गांव। यहां 90 परिवारों की प्यास तीन चापाकल के भरोसे बुझ रही है। इस आदिवासी बहुल गांव में कुल 10 चापाकल लगाए गए हैं। इसमें से वर्तमान में सात चापाकल खराब पडे़ हैं। गांव के कुंआ की भी स्थिति अच्छी नहीं है। गांव के एक मात्र चापाकल के भरोसे लोगों को पीने का पानी मिल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार पीएचइडी के अधिकारियों से मिलकर खराब चापाकल की मरम्मत की मांग की। परंतु खराब पडे़ चापाकलों की मरम्मत नहीं कराई गई। गांव का एक मात्र कुंआ भी पूरी तरह से सूख चुका है। गर्मी के दिनों में हर साल गांव में पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। नहाने से लेकर कपडे़ धोने तक की भी परेशानी होती है। मवेशियों को पानी पिलाने के साथ-साथ नहलाने में भी लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। लोगों को नहाने के लिए गांव से एक किमी दूर नाला में जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने प्रशासन से खराब पडे़ चापाकलों की मरम्मत की मांग की है। गांव की गुरुवारी हांसदा, बुधनी टुडू, माई हांसदा, चिते हांसदा, कुनी हेंब्रम, बुधनी हेंब्रम, मुगनी हांसदा, दुली टुडू आदी महिलाओं ने गांव की पेयजल समस्या के समाधान की मांग की है।

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