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बीटापुर में धूमधाम से मनाया गया सरहुल पर्व

आदिवासी उरांव सरना समिति की ओर से मोसोडीह पंचायत स्थित बीटापुर गांव में गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ प्रकृति पर्व सरहुल मनाया गया। पाहन मथुरा उरांव ने जाहेरस्थान पर ईष्ट देवता की पूजा-अर्चना कर क्षेत्र की सुख शांति समृद्धि हरियाली अच्छी फसल व वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए मंगलकामना की। इसके बाद समाज की पुरुष-महिलाएं व युवतियां परंपरागत वेशभूषा में सरहुल महोत्सव में शामिल हुए..

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 08:10 AM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 08:10 AM (IST)
बीटापुर में धूमधाम से मनाया गया सरहुल पर्व
बीटापुर में धूमधाम से मनाया गया सरहुल पर्व

जागरण संवाददाता, सरायकेला : आदिवासी उरांव सरना समिति की ओर से मोसोडीह पंचायत स्थित बीटापुर गांव में गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ प्रकृति पर्व सरहुल मनाया गया। पाहन मथुरा उरांव ने जाहेरस्थान पर ईष्ट देवता की पूजा-अर्चना कर क्षेत्र की सुख, शांति, समृद्धि, हरियाली, अच्छी फसल व वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए मंगलकामना की। इसके बाद समाज की पुरुष-महिलाएं व युवतियां परंपरागत वेशभूषा में सरहुल महोत्सव में शामिल हुए। समिति के वीरेन्द्र उरांव ने बताया कि यह परंपरा पूर्वजों के जमाने से चली आ रही है। इस परंपरा को उत्सव रूप में मनाकर नई पीढी के लोगों को सरहुल व पर्यावरण का महत्व बताना है। समुदाय के लोगों का प्रकृति से प्रेम व अटूट रिश्ता होने के कारण ही पर्यावरण व संस्कृति को अब तक सहेज कर रखा गया है। हम सभी को वातावरण की शुद्धता के लिए पेड़-पौधे लगाना होगा। हमारा जीवन प्रकृति से जुड़ा हुआ है। यह पर्व हमें प्रकृति व संस्कृति से जोड़े रखती है। मौके पर आदिवासी उरांव सरना समिति के महासचिव इंद्रजीत उरांव, समाज सेवी मंगला उरांव, बीरेंद्र उरांव, हीरू, हरेंद्र, आनंद, धरनी सेन, जयराम व सुमन उरांव समेत कई उपस्थित थे। मंगल कामना के साथ मनाया सरहुल का त्योहार : प्रकृति पर्व सरहुल को लेकर जिले में पारंपरिक तरीके से पूजा-अर्चना का दौर जारी रहा। हालांकि इस पर्व पर भी कोरोना का प्रभाव हावी रहा। सामूहिक व बड़े आयोजन स्थगित रहे। अखरा में भी कोविड-19 से संबंधित गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए नृत्य-संगीत का कार्यक्रम स्थगित रहा। सरायकेला स्थित पदमपुर गांव में झारखंड आंदोलनकारी मंच के संयोजक धनपति सरदार ने गांव देऊरी के रूप में पूजा संपन्न कराई। इस अवसर पर गांव के लोगों ने भुरकुली, तितिरबिला, लाखोडीह, डांगरडीहा, रांगाडीह व तंतुडीह समेत अन्य ग्रामीण इलाकों से पहुंचे भक्तों के साथ ईष्ट देव की आराधना की। राज्य व देश की खुशहाली और कोरोना से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। आनंदडीह में धूमधाम से मनाया गया सरहुल पर्व : गुरुवार को आंनंदडीह में आदिवासियों का प्रकृति पर्व सरहुल धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गांव के ग्राम प्रधान भरत उरांव उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि सरहुल में प्रचलित है, नाची से बांची। अर्थात जो नाचेगा वही बचेगा। क्योंकि, ऐसी मान्यता है कि नृत्य ही संस्कृति है। कहा, यह पर्व इस बात की याद दिलाता है कि धरती और सूर्य के संबंध से ही प्रकृति में हरियाली आती है। मौके पर सोमरा उरांव, जितेन उरांव, महेंद्र उरांव, नरसिंह उरांव, दशरथ उरांव, बबलू उरांव शिवचरण उरांव, दुर्गावती उरांव, रेखा उरांव, कुमारी गायत्री उरांव, देवराम उरांव, परशुराम उरांव, राजाराम उरांव, राकेश उरांव समेत कई उपस्थित थे।

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