कैंपस---- बच्चों को अगर बचपन से ही संस्कार मिले तो आगे दिक्कत नहीं : प्रसाद महतो
सरायकेला : बच्चे सदा सत्य बोलें और आज्ञाकारी बनें।
जागरण संवाददाता, सरायकेला : बच्चे सदा सत्य बोलें और आज्ञाकारी बनें। बच्चों को संस्कार सबसे पहले घर से मिलते हैं। पहली गुरु मां होती है। बाद में स्कूल भेजा जाता है। उन्हें बचपन से ही संस्कार मिलें तो आगे दिक्कत नहीं होती। बच्चे जो घर में देखते हैं उसको उतारने की कोशिश करते हैं। बच्चा दूसरे को देखकर ही सीखने का प्रयास करता है लेकिन उसमें कुछ गलत आदतें भी आती हैं तो उसे समझाया जा सकता है। बहुत लोग टाल देते हैं तो आगे चलकर वह बच्चा संस्कारी नहीं हो पाता है। इसलिए बच्चों के सामने वही बोलें जो पसंद करें, गलत शब्द का उच्चारण मत करें। बच्चे को जन्म के साथ ही उसे संस्कारी बनाना चाहिए। यह बातें सोमवार को सरस्वती शिशु मंदिर सरायकेला में दैनिक जागरण की ओर से आयोजित संस्कारशाला कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य प्रसाद महतो ने कही। कहा कि बच्चों का शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास एक अच्छे समाज में ही होता है। इसलिए उनके चारित्रिक विकास के लिए एक अच्छे समाज का निर्माण होना आवश्यक है। इसके लिए समाज को सुसंस्कृत कर सभ्यता के दायरे में लाना होगा। बच्चों के सर्वांगीण विकास में शैक्षणिक वातावरण भी कम महत्व नहीं रखता है। बच्चा जब जन्म लेता है तो उसके बाद उसको अधिगम कराने का सिलसिला शुरू हो जाता है। नवजात में किसी भी विषय को जो उसके अनुकूल है ग्रहण करने की प्रवृत्ति अधिक रहती है। माता-पिता पाठशाला में दाखिला कराते हैं और यहां वे सुनना, पढ़ना, लिखना व बोलने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के विषयों की जानकारी प्राप्त करते हैं। उन्होंने बताया कि दैनिक जागरण ने संस्कारशाला अभियान चलाकर समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है।