यहां 10 वर्षो बाद भी नहीं बन सकी महज तीन सौ फीट रोड, जानिए क्यों
प्रखंड क्षेत्र के राजनगर पंचायत अंतर्गत राजनगर के हो टोला के ग्रामीण वर्षो से एक अदद सड़क का इंतजार कर रहे हैं। एक छोर से मात्र सौ फीट तक बनी बाकी लगभग तीन सौ फीट अधूरी छोड़ दी गई है।
राजनगर (सरायकेला-खरसावां): प्रखंड क्षेत्र के राजनगर पंचायत अंतर्गत राजनगर के हो टोला के ग्रामीण वर्षो से एक अदद सड़क का इंतजार कर रहे हैं। एक छोर से मात्र सौ फीट तक बनी, बाकी लगभग तीन सौ फीट अधूरी छोड़ दी गई है। जिसमें बरसात में इतना अधिक जलजमाव हो जाता है कि कीचड़ की वजह से सड़क दलदल हो जाती है। पंचायत चुनाव का दूसरा कार्यकाल भी समाप्ति के कगार पर है, लेकिन किसी जनप्रतिनिधियों को राजनगर के हो टोला के इन गरीबों की समस्या नहीं दिखी। जहां दस साल में महज तीन सौ फीट सड़क नहीं बन सकी। जबकि पंचायत जनप्रतिनिधियों को सरकार ने गांव के विकास के लिए अब तक करोड़ों रुपये का फंड उपलब्ध कराया है। इसके बावजूद भी ग्रामीण गांव के अंदर कीचड़ और दलदल भरी सड़क से चलने पर मजबूर हैं। यह किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए शर्म की बात होनी चाहिए है।
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मुखिया फंड का हो रहा दुरुपयोग
राजनगर पंचायत के राजनगर गांव में मुखिया के फंड के दुरुपयोग का एक उदाहरण आपको देखने को मिलेगा। किस तरह से जहां लोगों को सड़क की जरूरत सबसे ज्यादा है, सड़क वहां न बनाकर खेत की ओर जाने वाले कच्चे मार्ग में फंड का दुरुपयोग किया गया है। राजनगर हो टोला के ग्रामीणों का कहना है कि यहां जरूरत नहीं है। खेत की ओर जाने वाली पगडंडी का रास्ता है। जिस पर बैल बकरी जाते हैं। फंड का उपयोग यदि गांव के अंदर होता तो हमें कीचड़ से निजात मिल जाती। वहीं पंचायत के प्रभारी मुखिया (उप मुखिया) गणेश देवगम से पक्ष जानने के लिए दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। उसके सचिव संतोष महतो से पूछने पर बताया कि शादी ब्याह में उस रास्ते से वर-वधू को तालाब ले जाया जाता है। क्या कहते हैं ग्रामीण -
पगडंडी को सड़क का रूप दे दिया गया है। लेकिन गांव के अंदर सड़क नहीं बनाई गई। बरसात और कीचड़ से बहुत दिक्कत होती है। सभी मिलकर मुरम वगैरह डालते हैं। कई बार सड़क के लिए कहा गया लेकिन कोई सुनता नहीं।
-- गिनु पूर्ति, राजनगर हो टोला- सड़क के अलावा गांव में बनी सोलर टंकी भी काम नहीं करती। सिर्फ एक घटा पानी निकलता है। भरी दोपहर में भी पानी नहीं चढ़ता। मजबूरन चापाकल चलाकर पानी लेना पड़ता है।
-- हीरा बरदा- सड़क तो बहुत जरूरी है। सड़क न बनाकर बैलों के चलने वाले रास्ते पर मुखिया ने सड़क बना दी। पैसा बर्बाद करने का काम हुआ। सोलर पानी टंकी भी बेकार का है। पानी नहीं निकलता है। जैसे तैसे काम किया गया है। राशन कार्ड भी नहीं है।
-- निर्मला जामुदा- पक्की सड़क नहीं होने के कारण बरसात में बहुत दिक्कत होती है। अभी हाल में पेबर्स ब्लॉक सड़क गांव के बाहर खेत की ओर जाने वाले मार्ग पर बना दी गई। लेकिन यहां नहीं बनाया। पैसे का दुरुपयोग हुआ। सोलर टंकी भी सिर्फ शो-पीस है।
-- सुकुरमुनी पूर्ति-