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प्रभु जगन्नाथ का स्नान पूर्णिमा आज, 108 कलश पानी से होगा स्नान

शुक्रवार को देवस्नान पूर्णिमा पर महाप्रभु जगन्नाथ का पवित्र शाही स्नान है। परंतु इस वर्ष जगन्नाथ मंदिरों में सिर्फ रश्म अदायगी भर ही होगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 09:12 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 06:21 AM (IST)
प्रभु जगन्नाथ का स्नान पूर्णिमा आज, 108 कलश पानी से होगा स्नान
प्रभु जगन्नाथ का स्नान पूर्णिमा आज, 108 कलश पानी से होगा स्नान

संवाद सूत्र, खरसावां : शुक्रवार को देवस्नान पूर्णिमा पर महाप्रभु जगन्नाथ का पवित्र शाही स्नान है। परंतु इस वर्ष जगन्नाथ मंदिरों में सिर्फ रश्म अदायगी भर ही होगी। कोविड-19 को लेकर सरकार की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार किसी तरह के धार्मिक अनुष्ठान या भंडारे का आयोजन नहीं किया जाएगा। शुक्रवार को देव स्नान पूर्णिमा पर विभिन्न जगन्नाथ मंदिरों में इस वर्ष परंपरा के अनुसार प्रभु जगन्नाथ, उनके बडे़ भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा की पूजा कर 108 कलश पानी से स्नान कराया जाएगा। परंतु इस वर्ष मंदिरों में प्रभु जगन्नाथ को स्नान कराने के लिए श्रद्धालु मौजूद नहीं रहेंगे। भीड़भाड़ से बचने के लिए श्रद्धालुओं का जम घट नहीं लगेगा। इस वर्ष कोरोना कोविड-19 के प्रभाव के कारण श्री जगन्नाथ स्नान यात्रा की पूजा पूरी सादगी के साथ होगी। पहली बार ऐसा होगा कि स्नान पूर्णिमा पर मंदिरों में पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं जुटेगी। मंदिरों में एक या दो पूजारी ही शारीरिक दूरी बनाकर पूजा करते नजर आएंगे। धार्मिक परंपरा है कि स्नान पूर्णिमा के दिन अत्याधिक स्नान से प्रभु जगन्नाथ बीमार होकर 15 दिन तक अणसर गृह में चले जाते हैं। इस दौरान उनका उपचार अणसर गृह में किया जाएगा। इन 15 दिनों की अवधी में किसी भी भक्त को प्रभु जगन्नाथ का दर्शन नहीं होता है। स्नान पूर्णिमा के 15 दिन बाद 21 जून को नेत्र उत्सव के दिन प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा के नवयौवन रूप के दर्शन होंगे। 23 जून को प्रभु जगन्नाथ की प्रसिद्ध वार्षिक रथ यात्रा निकलती है। इस वर्ष कोविड-19 को लेकर रथ यात्रा के आयोजन को लेकर भी संशय बरकरार है। अभी तक रथ यात्रा के आयोजन को लेकर किसी तरह का निर्देश नहीं मिला है।

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