राज्य में गांजा की खेती को अनुमति नहीं दी जाएगी : आबकारी सचिव
राज्य में गांजा की खेती करने संबंध प्रस्ताव को आबकारी विभाग ने मना कर दिया है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : राज्य में गांजा की खेती करने संबंध प्रस्ताव को आबकारी विभाग ने मना कर दिया है। भारतीय संविधान के अनुसार गांजा की खेती गैरकानूनी है और इसे अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह जानकारी आबकारी विभाग के सचिव सुशील कुमार लोहानी ने लोकसेवा भवन में आयोजित बैठक के बाद दी।
आबकारी सचिव ने बताया कि कई बार औद्योगिक संस्थान की तरफ से दवा के लिए गांजा की खेती को अनुमति दिए जाने का प्रस्ताव आता है। इस मामले में कानूनी सलाह के बाद निर्णय लिया गया है कि गांजा की खेती को सरकार किसी तरह प्रोत्साहित नहीं कर सकती है। राज्य मे गांजा की खेती गैरकानूनी है। इसके लिए किसी संस्था को अनुमति नहीं दी जा सकती है।
नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट- 1985 के अनुसार गांजा की खेती को गैरकानूनी घोषित किया गया है। हालांकि कुछ लोग इसमें औषधीय गुण दर्शाकर गांजा की खेती करने के लिए अनुमति मांगते रहते हैं, जिसे आबकारी विभाग ने एक बार फिर सिरे से खारिज कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि आबकारी विभाग द्वारा हर साल प्रदेश में 1.37 करोड़ रुपये के गांजा के पौधों को नष्ट किया जाता है। आबकारी विभाग और पुलिस के संयुक्त अभियान में कंधमाल जिले के 275 एकड़ में गैरकानूनी गांजा खेती को नष्ट किया गया है। माओ प्रभावित इलाके के जंगलों में बड़े पैमाने पर गांजा की खेती की जाती है और इसे बेचकर नक्सलियों द्वारा धन जुटाया जाता है। माओवादियों के डर के कारण गैरकानूनी गांजा की खेती को लेकर पुलिस के पास शिकायतें कम ही जाती हैं। ऐसे में यदि इस खेती को कानूनी मान्यता दी जाएगी तो फिर इसका व्यापक असर समाज पर पड़ेगा।