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रथ यात्रा में सरकारी फंड से खर्च होंगे 55 हजार

बीडीओ दयानंद जायसवाल की अध्यक्षता में खरसावां प्रखंड सभागार में रथ यात्रा को लेकर तैयारी बैठक की गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 07:13 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2019 06:34 AM (IST)
रथ यात्रा में सरकारी फंड से खर्च होंगे 55 हजार
रथ यात्रा में सरकारी फंड से खर्च होंगे 55 हजार

संवाद सूत्र, खरसावां : बीडीओ दयानंद जायसवाल की अध्यक्षता में खरसावां प्रखंड सभागार में खरसावां में महाप्रभु जगन्नाथ के वार्षिक रथ यात्रा को लेकर बैठक हुई। इसमें रथ यात्रा के विभिन्न आयोजनों पर विचार-विमर्श किया गया। सभी लोगों ने पूरे भक्ति व श्रद्धा के साथ रथ यात्रा संपन्न कराने का निर्णय लिया। बताया गया कि चार जुलाई को दोपहर तीन बजे से रथ यात्रा निकलेगी। बिजली विभाग को निर्देश दिया गया कि दोपहर दो बजे से बिजली तार को खोलेंगे तथा गुंडिचा मंदिर में रथ पहुंचने के बाद बिजली तार को जोड़ देंगे। रथ यात्रा के दौरान सभी आवश्यक दवा व एंबुलेंस के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को खुला रखने का निर्देश दिया गया। पीएचइडी को सभी खराब चापाकलों की मरम्मति करने को कहा गया। खरसावां के मुखिया व पंचायत सचिव को हर हाल में तीन जुलाई तक साफ सफाई कराने को कहा गया। रथ यात्रा के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए खरसावां थाना प्रभारी को निर्देश दिया गया।

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बीडीओ ने बताया कि रथ यात्रा में इस साल अलग अलग मदों में सरकारी फंड से 55 हजार रुपये खर्च होंगे। रथयात्रा में विधि व्यवस्था के लिए 15 वोलेंटियर बनाए गए हैं। बैठक में राकेश दास, सौरिश मिश्रा, सुशील षाड़ंगी, जीत वाहन मंडल, नंदू पांडेय, मानिक सिंहदेव, गोव‌र्द्धन राउत, नरसिंह पात्रो, रविद्र मोदक समेत विभिन्न विभाग के पदाधिकारी मौजूद थे। मालूम हो कि खरसावां में रथयात्रा का आयोजन स्थानीय लोगों के सहयोग से सरकारी खर्च पर होता है। रथ यात्रा पर खर्च होने वाली राशि का वहन राज्य सरकार करती है। रियासत काल में रथ यात्रा में होने वाले सभी खर्च राजपरिवार उठाता था। देश की आजादी के बाद तमाम देशी रियासतों के भारत गणराज्य में विलय के बाद खरसावां में रथ यात्रा का आयोजन सरकारी खर्च पर होने लगा। देश की आजादी के बाद सरकार के साथ हुए समझौता के बाद यह खर्च राज्य सरकार उठाते आ रही है। रथ यात्रा के आयोजन में स्थानीय राजपरिवार के साथ साथ स्थानीय लोगों का भी काफी सहयोग रहता है। यहां की रथ यात्रा करीब साढ़े तीन सौ साल पुरानी है। यहां हर साल पारंपरिक रूप से महाप्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है।


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