अविनाश की गिरफ्तारी के बाद ही केबुल चोरी का खुलासा
संसू आदित्पयुर सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के झारखंड बिजली वितरण लिमिटेड
संसू, आदित्पयुर : सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के झारखंड बिजली वितरण लिमिटेड के सतवाहिनी कार्यालय परिसर से केबुल चोरी व राकेश कुमार आत्महत्या मामले में शुक्रवार को पुलिस ने गालूडीह स्थित होटल संचालक का कोट में 164 का बयान कलमबंद करवाया। जिसमें होटल संचालक का कहना है कि जिस दिन 407 में चोरी का केबुल आया था। उस दिन कार में राकेश भी था। मामले में राकेश था कि नहीं इसकी खुलासा मुख्य आरोपित अविनाश के पकड़ने के बाद ही स्पष्ट होगा।
सवाल कि तीन दिन बाद प्राथमिकी क्यों दर्ज हुई
आदित्यपुर में चल रहे जलापूर्ति योजना के वाटर ट्रीटमेंट प्लाट तक बिजली पहुंचाने के लिए तिरुपति कंस्ट्रक्शन द्वारा अंडरग्राउंड केबलिंग का काम किया जा रहा था। 17 जनवरी की शाम में वहा झारखंड बिजली वितरण निगम के स्टोर से तिरूपति कंस्ट्रक्शन द्वारा तार लेकर सतबहनी कार्यालय में लाया गया था। अगले दिन अविनाश दो मालवाहक वाहन से तार को उठाकर गालूडीह लेकर चला गया। जबकि बिजली विभाग के अधिकारियों ने तीन दिन बाद आदित्यपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
तिरुपति कंस्ट्रक्शन के कर्मचारी भी संदेह के घेरे में
तिरुपति कंस्ट्रक्शन के कर्मचारी जो तार रखने सतवाहिनी कार्यालय गये थे वे भी पुलिस की रडार पर हैं। पुलिस को संदेह है कि कहीं ना कहीं अविनाश से कंपनी के किसी कर्मचारी का संबंध हो सकता है। क्योंकि रात में तार आने के बाद अगले दिन तार को वहा से सरेआम उठा लिया जाता है।
राकेश को पूर्व में भी गालूडीह ले गया था अविनाश
राकेश ने सुसाइट नोट में लिखा है कि घटना के तीन दिन पूर्व 14 जनवरी को गालूडीह के उक्त होटल के पास अविनाश यह कहकर ले गया था कि वह बिजली का तार बिछाने का काम ठेके पर लिया है। साईट देखने चलना है। इसके बाद 17 जनवरी को घटना को अंजाम दिया जाता है।
आदित्यपुर थाना प्रभारी व निगम के कार्यपालक अभियंता के बयान में विरोधाभाष
घटना में प्राथमिकी तीन दिन बाद दर्ज होने के मामले में आदित्यपुर थाना प्रभारी सुषमा कुमारी का कहना है कि बिजली विभाग के अधिकारी व संवेदक को आरोपी अविनाश ने आश्वस्त किया था कि तार वापस दे देगा, लेकिन नहीं दिया। इसके बाद प्राथमिकी दर्ज कराई गयी। जबकि बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता हिमाशु कुमार ने बयान को पलटते हुए बताया कि संवेदक रखकर चला गया था और उसे तीन दिन बाद चोरी की बात पता चला तब जाकर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी। दोनों अधिकारियों के बयान में आयी विरोधाभाष साबित कर रहा है कि राकेश मामले में निर्दोष है।