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कड़ी सुरक्षा में एनआइटी की जमीन का सीमाकन

संवाद सूत्र, आदित्यपुर : नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, जमशेदपुर की चहारदीवारी निर्माण के लिए सोमव

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 09:04 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 09:04 PM (IST)
कड़ी सुरक्षा में एनआइटी की जमीन का सीमाकन
कड़ी सुरक्षा में एनआइटी की जमीन का सीमाकन

संवाद सूत्र, आदित्यपुर : नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, जमशेदपुर की चहारदीवारी निर्माण के लिए सोमवार को एकबार फिर कड़ी सुरक्षा के बीच ग‌र्ल्स होस्टल के पीछे इच्छापुर बस्ती की ओर से सीमांकन का काम पूरा हो गया। सीमांकन होते ही चहारदीवारी का काम भी शुरू हो गया। वहीं आदित्यपुर कॉलोनी की ओर स्थित संस्थान के गेट के पास की जमीन पर झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने दावा किया है, जिससे मामला अटक गया है।

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इससे पहले इस काम के लिए तीन मजिस्ट्रेट की अगुवाई में सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। सरायकेला के अनुमंडलाधिकारी संदीप दुबे, गम्हरिया की अंचलाधिकारी कामिनी कौशल लकड़ा और पशु चिकित्सक डॉक्टर संजय रत्नाकर मजिस्ट्रेट के रूप में मौजूद थे।

अंचलाधिकारी व मजिस्ट्रेट कामिनी कौशल लकड़ा ने बताया कि एनआइटी प्रबंधन ने एमआइजी कॉलोनी, इच्छापुर और आसंगी के लोगों द्वारा चहारदीवारी निर्माण का विरोध करने और निर्माण में बाधा डालने को लेकर मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में शिकायत की थी। उसके बाद एसडीओ कोर्ट के आदेश पर मजिस्ट्रेट और सुरक्षा बल की प्रतिनियुक्ति का सीमाकन और चारदीवारी निर्माण कार्य कराया गया। उन्होंने कहा कि विरोध कर रहे लोगों को साफ शब्दों में बताया गया कि प्रस्तावित निर्माण योजना का विरोध किये जाने पर सरकारी कार्य में बाधा डालने के तहत कार्रवाई की जाएगी।

मौके पर पर मौजूद संस्थान के निदेशक प्रोफेसर करुणेश कुमार शुक्ला ने बताया कि सीमाकन कार्य पूरा होने के बाद ही अतिक्रमण का पता चल सकेगा। उन्होंने बताया कि सरकार से प्राप्त आदेश के तहत ही निर्माण कार्य कराया जा रहा है। 58 साल में नहीं हो सका सीमांकन :

दरअसल 1960 में रिजनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (आरआइटी, 26 दिसंबर 2002 से एनआइटी) की स्थापना के लिए आसंगी गांव में 341.3 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। पिछले 58 साल से स्थानीय लोगों के विरोध के कारण चहारदीवारी का निर्माण नहीं हो सका। पूर्व निदेशक डॉ. रामबाबू कोडाली (2012-17) के कार्यकाल में चहारदीवारी निर्माण के लिए प्रयास हुए। गत तीन-चार साल से जारी प्रक्रिया के तहत काफी हद तक सीमांकन का काम हो गया है। चारदीवारी निर्माण के साथ रिंग रोड बनाया जाना है।


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