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ढ़ीपासाई के किसानों से सीखें कैसे बनें स्वावलंबी

कुचाई के ढ़ीपासाई गांव के किसान करीब सात एकड़ जमीन पर रबि फसल तथा चार एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं। इसके अलावा 10 एकड़ जमीन पर अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं। आदिवासी बहुल इस गांव में खेती ही कमाई का जरिया है। पूर्व में जिले के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने कुचाई प्रखंड के इस गांव को गोद लिया था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 12:58 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 12:58 AM (IST)
ढ़ीपासाई के किसानों से सीखें कैसे बनें स्वावलंबी
ढ़ीपासाई के किसानों से सीखें कैसे बनें स्वावलंबी

संसू, खरसावां : कुचाई के ढ़ीपासाई गांव के किसान करीब सात एकड़ जमीन पर रबि फसल तथा चार एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं। इसके अलावा 10 एकड़ जमीन पर अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं। आदिवासी बहुल इस गांव में खेती ही कमाई का जरिया है। पूर्व में जिले के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने कुचाई प्रखंड के इस गांव को गोद लिया था। इसके बाद जिला के भूमि संरक्षण पदाधिकारी कालीपद महतो ने गांव में कृषि को बढ़ावा देने के लिए बेकार पड़ी जमीन पर 4.7 लाख रुपये की लागत से तालाब बनवाया। करीब एक दर्जन परिवार तालाब के पास खेती कर रहे हैं। तालाब के आसपास के सब्जी की पैदावार की कर रहे हैं। किसानों ने यहां बैगन, टमाटर, करेला, भिडी, ननुआ, लौकी, झींगी आदि सब्जी उगा रहे हैं। इसके जरिये अच्छा- खासा रोजगार भी हो रहा है। एक साल पहले तक जो खेत बेकार पड़े हुए थे, आज वह हरे- भरे हैं। तालाब की खुदाई से सब्जी के उत्पादन से लेकर धान की खेती तक हो रही है। अब आसपास के गांव के लोग भी प्रोत्साहित हो रहे है। इसके अलावा कई अन्य फसलों में कर रहे हैं। गांव के शंकर हेंब्रम, लक्ष्मण हेंब्रम, डांसर हेंब्रम समेत कई किसानों ने तालाब के पास के जमीन पर खेती कर रहे है। किसानों को हर साल 40-50 हजार रुपये का अतिरिक्त कमाई हो रहा है।

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--बतख पालन का भी मिल रहा लाभ

ढ़ीपासाई गांव के लोग तालाब से सब्जी के खेती के साथ साथ बतख व मत्स्य पालन भी कर रहे है। बतख के अंडों की बिक्री कर कमाई कर रहे हैं। तालाब की खोदाई के बाद गांव में काफी हद तक पानी की समस्या का भी समाधान हुआ है।

कोट :

ग्रामीणों की मांग पर तालाब खुदवाया गया था। अब तालाब बनने के बाद किसानों को खेती के लिए पानी मिल रही है। सब्जी व रबि फसल कर किसान स्वरोजगार को अपना रहे है। तालाब की पानी से किसानों द्वारा की जा रही खेती ही इस योजना की सफलता को दर्शाता है। विभाग अपने दायित्व का निर्वाह कर रहा है।

कालीपद महतो, जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी, सरायकेला


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