जमीन मेरी है और मुझसे ही मांगते हो सबूत
आयडा बिना जमीन अधिग्रहण व मुआवजा दिए जबरन रैयती खेती की जमीन उद्यमियों को आवंटित कर रहा है। आयडा ने गम्हरिया अंचल के रैयत रामेश्वर सरदार की 1.48 डिसमिल जमीन पटेल इंजीनियरिग वर्क्स को आवंटित कर दी है। मूल रैयत के वंशज हर साल जमीन के एवज में लगान की राशि भी जमा कराते हैं।
फोटो- 05- जियाडा क्षेत्रीय उपनिदेशक रंजना मिश्रा से बात करते साधु सरदार। फोटो- 06- इसी जमीन के लिए हो रहा हंगामा।
- मामला आयडा के माध्यम से गम्हरिया अंचल के रैयत रामेश्वर सरदार की 1.48 डिसमिल जमीन पटेल इंजीनियरिग वर्क्स को आवंटित करने का प्रमोद सिंह, सरायकेला : मेरे वजूद को क्यों मिटाने पर तुले हो साहब! जमीन मेरी है और मुझसे ही सबूत भी मांगते हो। यह तो ज्यादती हुई न? यह दर्द है गम्हरिया अंचल के रैयत रामेश्वर सरदार के वंशजों की, जिन्हें जल, जंगल और जमीन से प्यार के लिए जाना जाता है। फिर भी आयडा बिना जमीन अधिग्रहण व मुआवजा दिए जबरन रैयती खेती की जमीन उद्यमियों को आवंटित कर रहा है। आयडा ने गम्हरिया अंचल के रैयत रामेश्वर सरदार की 1.48 डिसमिल जमीन पटेल इंजीनियरिग वर्क्स को आवंटित कर दी है। मूल रैयत के वंशज हर साल जमीन के एवज में लगान की राशि भी जमा कराते हैं। आरआइटी थाना क्षेत्र में फेज 1 स्थित खाता संख्या 206, खेसरा संख्या 139, 140, 141, 356 व 357 के तहत मूल रैयत रामेश्वर सरदार की 1.48 डिसमिल जमीन है। जब मूल रैयत के वंशज साधु सरदार ने अपनी जमीन पर दावा किया तो सरायकेला एसडीओ ने संबंधित भूखंड पर धारा-144 लगा दी। मामले का निपटारा होने तक संबंधित भूखंड पर किसी प्रकार के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। जबकि पटेल इंजीनियरिग वर्क्स की ओर से संबंधित भूखंड पर निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
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दस्तावेज आ जाए तब आएं
छह जून को पटेल इंजीनियरिग वर्क्स के विवाद के निपटारे को लेकर जियाडा की क्षेत्रीय उप निदेशक रंजना मिश्रा ने एक बैठक बुलाई थी। जब मूल रैयत के वंशज आयडा कार्यालय पहुंचे तो उन्हें क्षेत्रीय उप निदेशक से मिलने नहीं दिया गया। फिर किसी प्रकार वे क्षेत्रीय उप निदेशक से मिलने पहुंचे तो क्षेत्रीय उप निदेशक ने उनसे कहा कि वे उन्हें नहीं जानतीं हैं। जब दस्तावेज आ जाएगा तब आएं। उप निदेशक के इस जवाब के बाद पीड़ित परिवार ने कहा कि न्याय के लिए कहां जाएं। किसके पास जाएं। सरकारी तंत्र को सरकारी दस्तावेज निकलवाने में इतना वक्त क्यों लग रहा है? जब विवादित भूखंड पर धारा-144 लागू है तो आवंटी के माध्यम से विवादित भूखंड पर निर्माण कार्य कैसे कराया जा रहा है? इससे पूर्व क्षेत्रीय उप निदेशक ने मूल रैयत के वंशजों से चाईबासा भू- अर्जन कार्यालय से मूल नक्शा, जमीन अधिग्रहण व मुआवजा से संबंधित पत्राचार किए जाने का हवाला देते हुए छह जून को उपस्थित होने का निर्देश दिया था। मूल रैयत के वंशजों ने विवादित जमीन पर किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं करने व परिवार को मिल रही धमकी से सुरक्षा प्रदान करने की मांग की थी। क्षेत्रीय उप निदेशक ने लिखित आवेदन देने की बात कही थी।
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क्या है आयडा
अविभाजित बिहार में खनिज संपदा से परिपूर्ण रत्नगर्भा कोल्हान की धरती में उद्योग-धंधे व कल-कारखाने स्थापित किए जाने के लिए आदित्यपुर इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट अथॉरिटी (आयडा) का गठन किया गया था, ताकि उद्योग -धंधे लगाने के लिए उद्यमियों को जमीन आवंटित की जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी व अधिग्रहित जमीनों को अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर उद्यमियों को आवंटित करना है। मूल रैयत के वंशजों से जमीन का मूल नक्शा, जमीन अधिग्रहण व मुआवजा से संबंधित पत्राचार किया गया है। कागजात आने के बाद ही पता चलेगा कि जमीन का भू-अर्जन हुआ है या नहीं। साथ ही साथ रैयत को मुआवजा मिला है या नहीं।
- रंजना मिश्रा, क्षेत्रीय उप निदेशक, जियाडा।