अभी नहीं चेते तो 2030 तक नहीं रहेगा भूगर्भ का जल : अमरेश कुमार
लगभग 10 वर्ष बाद पानी के बिना मानव जीवन घोर संकट में आ सकता है। वर्ष 2030 तक शायद भूजल न रहे। ऐसे में जलसंचय नहीं किया गया तो स्थिति भयावह होगी। सोमवार को ये बातें पर्यावरणविद् अमरेश कुमार ने विश्व जल दिवस के अवसर पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कही। उन्होंने बताया कि नीति आयोग द्वारा प्रकाशित कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में देश के 21 ऐसे शहरों को शामिल किया गया है जहां वर्ष 2030 तक भू जल उपलब्ध नहीं होगा। दुर्भाग्यवश इस सूची में जमशेदपुर शहर का नाम भी शामिल है..
जागरण संवाददाता, सरायकेला : लगभग 10 वर्ष बाद पानी के बिना मानव जीवन घोर संकट में आ सकता है। वर्ष 2030 तक शायद भूजल न रहे। ऐसे में जलसंचय नहीं किया गया तो स्थिति भयावह होगी। सोमवार को ये बातें पर्यावरणविद् अमरेश कुमार ने विश्व जल दिवस के अवसर पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कही। उन्होंने बताया कि नीति आयोग द्वारा प्रकाशित कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में देश के 21 ऐसे शहरों को शामिल किया गया है, जहां वर्ष 2030 तक भू जल उपलब्ध नहीं होगा। दुर्भाग्यवश, इस सूची में जमशेदपुर शहर का नाम भी शामिल है। उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट में झारखंड राज्य को 100 में से मात्र 35 अंक के साथ सबसे निचला पायदान प्राप्त हुआ है, जो चिंता का विषय है। परिचर्चा में शामिल अन्य लोगों ने भी जल संरक्षण पर अपने-अपने विचार रखे। इस अवसर पर सरायकेला-खरसवां जिले में व्याप्त पेयजल संकट पर भी चर्चा की गई, जिसमें मुख्य रूप से सीतारामपुर डैम का साफ न होना और गंजिया बराज का निर्माण नहीं होने से भविष्य में पानी की किल्लत पर चिंता जाहिर की गई। पर्यावरणविद् अमरेश कुमार ने बताया कि शहरी क्षेत्र में सख्ती से रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम को लागू करना होगा। उन्होंने बताया कि सरायकेला जिले में इसे अधिक से अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। कहा, कम खर्च में भी बारिश के जल को संग्रहित किया जा सकता हैं। पानी के हर एक स्त्रोत को स्वच्छ रखने का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना भी अहम कड़ी है। शहरी क्षेत्र में छोटे तालाब या डोभा का निर्माण कर भूजल का स्तर बनाया जा सकता है। स्वच्छ जल नहीं मिलेगा तो मनुष्य का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा। मौके पर रवि रंजन,अमित कुमार, डा. कुणाल, अशोक कुमार आदि उपस्थित थे।