विजय तारण आश्रम में कलश स्थापना के साथ गीता जयंती शुरू
गम्हरिया प्रखंड के विजय ग्राम स्थित विजयतारण आश्रम में रविवार से तीन दिवसीय गीता जयंती शुरू हुई।
जागरण संवाददाता, सरायकेला : गम्हरिया प्रखंड के विजय ग्राम स्थित विजयतारण आश्रम में रविवार को कलश स्थापना के साथ तीन दिवसीय वार्षिक गीता जयंती समारोह का शुभारंभ हुआ। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रविवार सुबह जगन्नाथधाम पुरी से आए पुजारी व विद्वान पंडितों की अगुवाई में गाजे-बाजे के साथ महिलाएं घट लेकर संजय नदी गई। वहां विधि विधान के साथ कलश में जल भरकर आश्रम पहुंची। पूरे आश्रम परिसर का परिभ्रमण करते हुए हवनकुंड तक गईं जहां पुजारियों द्वारा कलश लेकर हवनकुंड में स्थापित की गई।
श्रद्धालुओं की उमड़ने लगी भीड़
कलश स्थापना के साथ ही आश्रम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। रविवार को कलश स्थापना व गंधाधिवास के बाद गीता पाठ एवं गीता प्रवचन हुआ। इसके बाद प्रसाद वितरण, संध्या आरती एवं रात में नामेर माहात्म्य अनुष्ठान का आयोजन किया गया। यज्ञ का शुभारंभ होते ही चारों ओर मंत्रोच्चार की ध्वनि गूंज रही है। सोमवार सुबह 5.30 बजे से आरती, 6.00 बजे गीता पाठ, 12.00 बजे प्रसाद वितरण, तीन बजे से पांच बजे तक गीता प्रवचन, छह बजे से आरती एवं शिव मोहिमा स्त्रोतम उसके बाद प्रसाद सेवन व बाउल संगीत का आयोजन किया जाएगा। मंगलवार सुबह: 5.30 बजे से आरती एवं श्री विष्णु सहस्त्र नाम, 8.30 बजे से गीता पाठ, एक बजे पूर्णाहुति एवं बालक भोजन तथा शाम को अतिथियों द्वारा गीता प्रवचन होगा। आश्रम के संचालक मृत्युंजय बाबा भक्तों के साथ समारोह की व्यवस्था में लगे हैं। अनुष्ठान का संचालन एवं पूजा-अर्चना में पुरी से आए पंडित अनंत गोपाल दास, ¨लगराज षाड़ंगी, दयानिधि द्विवेदी, काशीनाथ मिश्रा, राजेंद्र चतुर्वेदी, बबलू लाल आचार्य व धीरेंद्र महापात्र तथा दुगनी के आचार्य ज्ञानानंद ज्योतिषी व विजय आचार्य भूमिका निभा रहे हैं।
प्रत्येक साल मनती है गीता जयंती
विजय तारण आश्रम जो राम बाबा आश्रम के नाम से जाना जाता है। आश्रम के संस्थापक परमाध्यक्ष परमादर्श त्याग शिरोमणी ब्रह्मलीन श्री श्री 108 श्री परमहंस स्वामी रामानंद सरस्वती जी तथा स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी की प्रेरणा से प्रतिवर्ष गीता जयंती समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें स्थानीय एवं पड़ोसी राज्य ओड़िशा, बंगाल व बिहार से हजारों श्रद्धालु आकर महाप्रसाद वितरण एवं पूर्णाहुति में भाग लेते हैं। परमहंस स्वामी रामानंद सरस्वती जी जो रामबाबा के नाम से जाने जाते हैं अब समाधि ले चुके हैं, परंतु आज भी उनके भक्त आश्रम में आकर बाबा की समाधि में मत्था टेकते हैं। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 16 दिसंबर से 18 दिसंबर तक त्रिष्टक पूर्णपारायण एवं प्रवचन के साथ तीन दिवसीय गीता जयंती का आयोजन किया गया है।