बारिश के इंतजार में दरकते जा रहे खेत
धान की रोपाई कर चुके किसान बारिश नहीं होने से परेशान हैं। खेतों की नमी गायब होने से धान के फसल सूख रहे हैं। पानी के अभाव में खर-पतवार तेजी से उग रहे हैं। बारिश नहीं होने से खेतों में दरार बननी शुरू हो गई है। पिछले सात दिनों में जिले में 43 मिमी. बारिश दर्ज की गई..
जागरण संवाददाता, सरायकेला : धान की रोपाई कर चुके किसान बारिश नहीं होने से परेशान हैं। खेतों की नमी गायब होने से धान के फसल सूख रहे हैं। पानी के अभाव में खर-पतवार तेजी से उग रहे हैं। बारिश नहीं होने से खेतों में दरार बननी शुरू हो गई है। पिछले सात दिनों में जिले में 43 मिमी. बारिश दर्ज की गई। रोपनी के लिए खेतों में लगा धान के बिचड़ा पानी की कमी के कारण विकसित नहीं हो पाया। छींटा से धान के जो पौधे उगे थे, वे भी सूख चुके हैं। जो बचे थे उसे मवेशी चर गए। सरायकेला कृषि प्रधान क्षेत्र है। हर गांव में बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है। यहां की जमीन उपजाऊ है। किसान मेहनती हैं। परंतु सिचाई की कोई सुविधा नहीं है। किसानों की खेती मानसून की बारिश पर ही निर्भर है। अपनी जमा पूंजी लगाकर खेत में धान बोया और रोपनी के लिए बिछड़ा तैयार किया। परंतु पानी के बिना कढ़ान व रोपनी नहीं हुई। धान के पौधे जानवर खा गए। तैयार बिछड़ा भी सूख गया। अधिकांश खेत परती रह गए। कृषि के लिए सरकार से कोई सुविधा भी नहीं मिली।
- सारथी सरदार, किसान, रंगाकोचा।
बारिश नहीं होने के कारण समय पर खेत की जोताई नहीं हो सकी। जुलाई में बारिश हुइ, जिसके कारण खेत में लगा धान का बीज सूख गया और खेत परती रह गया। अब बारिश होने पर भी खेती नहीं हो पाएगी। क्योंकि सभी बीज खेत में डाल दिए गए थे।
- बीरबल सरदार, किसान, रंगाकोचा। इस क्षेत्र में सभी गांव के खेत उपजाऊ हैं। परंतु सिचाई सुविधा नहीं होने से अधिकांश खेत बंजर हो गए हैं। पिछले कुछ वर्षों से समय पर बारिश नहीं होने से खेती नहीं हो पा रही है। इस बार मानसून ने किसानों के साथ बेवफाई की है।
- सुबोध महतो, किसान, रंगाकोचा। इस बार समय पर बारिश नहीं हुई। सामान्य बारिश की तुलना में आधी बारिश हुई है, जिसके कारण धान की खेती प्रभावित हुई है। कम बारिश को देखते हुए जिले में दलहन व तेलहन की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत किसानों के बीच बीज वितरण किया जाएगा।
- विजय कुजूर, जिला कृषि पदाधिकारी, सरायकेला-खरसावां।