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दिल में फूटे थे उम्मीदों के कोपलें अब पैरों में पड़ रहे फफोले

दिल में उम्मीदों के कोपलें फूटे थे। लगा था अब आवाजाही से जुड़ा कष्ट दो-चार दिनों का है। लेकिन पुल बनने के बाद हकीकत बिल्कुल उलट है। पैरों को आराम तो नहीं ही मिला, फफोले जरूर पड़ रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 01:25 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 01:25 PM (IST)
दिल में फूटे थे उम्मीदों के कोपलें अब पैरों में पड़ रहे फफोले
दिल में फूटे थे उम्मीदों के कोपलें अब पैरों में पड़ रहे फफोले

संवाद सूत्र, सीनी : दिल में उम्मीदों के कोपलें फूटे थे। लगा था अब आवाजाही से जुड़ा कष्ट दो-चार दिनों का है। लेकिन पुल बनने के बाद हकीकत बिल्कुल उलट है। पैरों को आराम तो नहीं ही मिला, फफोले जरूर पड़ रहे हैं। दरअसल, सरायकेला-खरसावां जिले के खरसावां प्रखंड के बीटापुर, बुरुडीह एवं सरायकेला प्रखंड के मुरुप, गो¨वदपुर व कमलपुर पंचायत के गांवों को सीनी से जोड़ने के लिए सोना नदी पर दो पुल का निर्माण किया गया। परंतु बांकसाई से पुल तक सड़क निर्माण नहीं कराया गया। इस कारण ग्रामीणों को पुल की सुंिवधा नहीं मिल रही है।

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दस किलोमीटर अधिक दूरी तय कर ग्रामीण सीनी जाने को मजबूर हैं। बांकसाई गांव को पुल से जोड़ दिया जाता तो सीनी की दूरी दस किलोमीटर कम हो जाती। बांकसाई से दो अलग-अलग कच्ची सड़क दोनों पुल तक जाती है। इनमें से एक भी सड़क का पक्कीकरण नहीं किया गया। इस कारण लोगों को आवागमन में परेशानी होती है। बाध्य होकर लोग सरमाली-उकरी होकर 10 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय कर सीनी जाते हैं। सड़क की स्थिति जर्जर होने के कारण स्कूल के बच्चे इस मार्ग से नहीं जा पाते हैं। बच्चों को भी दस किलोमीटर अधिक दूरी तय करनी पड़ती है।

ये कहते हैं ग्रामीण

आजादी के पहले से ही बांकसाई जमींदार का गढ़ रहा है। आजादी के बाद सरकार द्वारा देशी रियासतों को मिलाने के क्रम में राजघराने व जमींदारों के ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा एवं संवर्धन का वादा किया था। इसके अनुसार बांकसाई का विकास सरकार का दयित्व है। यहां प्राचीन मंदिर है जहां दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं। परंतु आज तक बांकसाई के ग्रामीण सड़क जैसी मौलिक सुविधाओं से वंचित

- देवेन नायक, ग्रामीण

बांकसाई से सीनी की दूरी मात्र पांच किलोमीटर है। बांकसाई को सीनी से जोड़ने के लिए कोयरा एवं कदमडीहा में सोना नदी पर पुल निर्माण कर दिया गया। परंतु सड़क का निर्माण नहीं किया गया। आरईओ द्वारा सीनी से बांकसाई तक सड़क निर्माण का काम आरंभ किया गया था। कोयरा तक सड़क पक्कीकरण किया गया, परंतु पुल के इस पार से बांकसाई तक कच्ची सड़क पर पत्थर डालकर छोड़ दिया गया है। पत्थर के ऊपर मिट्टी मुरुम नहीं देने के कारण इस सड़क पर आवागमन काफी भयावह हो गया है।

तारापदो साहू, सेवानिवृत शिक्षक

इस क्षेत्र से काफी संख्या में बच्चे सीनी के स्कूलों में जाते हैं। सड़क की स्थिति जर्जर होने के कारण आए दिन बच्चे साइकिल से गिरकर चोटिल हो जाते हैं। सड़क निर्माण के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई जा रही है, परंतु इस दिशा में अब कोई सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है। जब पुल का निर्माण होने लगा तो ग्रामीण काफी खुश थे कि अब सीनी जाने के लिए दस किलोमीटर का चक्कर नहीं लगाना होगा। परंतु समस्या जस की तस है। सड़क नहीं बनने से ग्रामीणों में नाराजगी है।

भक्तो पंडा, ग्रामीण

खरसावां से बांकसाई फाटक तक पक्की सड़क है। परंतु बांकसाई से सोना नदी पुल तक सड़क नाम की कोई चीज नहीं है। खरसावां से उकरी होते हुए प्रतिदिन हजारों ग्रामीण एवं काफी संख्या में छोटी-बड़ी वाहनों का आवागमन इसी मार्ग से होती है। बांकसाई गांव से पुल तक अगर सड़क बन जाती तो लोगों के समय में काफी बचत हो जाती। पुल निर्माण के लिए जिस तरह आंदोलन किया गया था, अब सड़क के लिए आंदोलन करना होगा। लालमोहन, चित्रकार


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