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18 साल बाद भी गांवों की स्थिति जस की तस

खूंटपानी के पुरुणिया गांव में ग्रामीणों के साथ आजसू नेता ने बैठक की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 06:27 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 06:27 PM (IST)
18 साल बाद भी गांवों की स्थिति जस की तस
18 साल बाद भी गांवों की स्थिति जस की तस

संवाद सूत्र, खरसावां : झारखंड स्थापना के 18 साल बीत गए, लेकिन गांवों की स्थिति अभी भी जस की तस है। आजसू नेता संजय जारिका खूंटपानी के पुरुणिया गांव में ग्रामीणों के साथ बैठक कर लोगों के साथ सीधा संवाद किया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों की समस्याएं सुनी। मौके पर उन्होंने कहा कि आज भी गांव के लोग पानी, बिजली, ¨सचाई, शौचालय की समस्या में उलझे हैं। गांव के मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। अलग राज्य बनने के 18 साल बाद स्थिति जस की तस है। गांव की वास्तविक तस्वीर देखनी हो तो गांव में आना होगा। राजधानी और सचिवालय में बैठकर पूरे राज्य की तस्वीर नहीं देखा जा सकती। यह हालत इसलिए है कि गांव का संवाद नीति निर्धारकों तक नहीं पहुंचती।

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उन्होंने कहा कि अब गांव और आम आदमी चुप नहीं बैठेगा। सत्ता, सियासत और सिस्टम से गांव भी आंखें मिलाकर हक और अधिकार पर बात करेगी। उन्होंने कहा है कि झारखंड के पंचायत प्रतिनिधियों, मानदेय पर सालों से खट रहे संविदा कर्मी, आंगनबाड़ी सेविका, सहिया, स्वंय सहायता समूह, गांवों- कस्बों के खिलाड़ी, युवा, स्कूली बच्चे, जमीन ले जुड़े स्थानीय कलाकार, बुद्धिजीवी के पास विचार व सोच हैं, लेकिन कभी उन्हें सुना नहीं गया। सुना भी गया तो शासन, राजनीति, वोट के हिसाब से। जारिका ने कहा कि लोगों की ताकत बनकर झारखंडी विचारधारा को स्थापित करते हुए जनता के विषयों और सवालों के समाधान के लिए रास्ते निकालना है। उन्होंने कहा कि लोग चाहते हैं कि गांव, पंचायत के फैसले और समस्याओं पर सरकार और उसके तंत्र के अलावा वोट लेकर चुनाव जीतने वालों से खुलकर बातें की जा सके। एकतरफा फैसला और एकतरफा संवाद परिपाटी बन गई है। इस परिपाटी को बदलने के लिए गांव से आवाज उठने लगे हैं। बैठक में प्रखंड अध्यक्ष कृष्णा केशरी, दर्शन हाइबुरु, रीता सरदार, लालजी जारिका, मुकेश दास, दिनेश जोंको, सनातन महतो, सीता जारिका, घनश्याम बानरा, मनोज दास, संजय केशरी आदि उपस्थित थे।


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