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फूलो झानो योजना से महिलाएं बनीं सबल

ख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की वीरांगना फूलो झानो के नाम पर योजना की शुरुआत की गई है। आज उसका सार्थक परिणाम सामने आने लगा है। गरीबी और मजबूरी में हड़िया शराब निर्माण और बिक्री के कार्य से जुड़ी महिलाओं ने योजना का लाभ लिया और अपने आत्मविश्वास के बदौलत बदलाव की कहानी गढ़ने लगीं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 10:25 PM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 10:25 PM (IST)
फूलो झानो योजना से महिलाएं बनीं सबल
फूलो झानो योजना से महिलाएं बनीं सबल

जागरण संवाददाता, साहिबगंज : झारखंड सरकार की ओर से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए फूलो झानो योजना चलाई जा रही है। गुरुवार को इस योजना का लाभ लेकर जीविकोपार्जन करने वाली महिलाओं से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संवाद किया।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की वीरांगना फूलो झानो के नाम पर योजना की शुरुआत की गई है। आज उसका सार्थक परिणाम सामने आने लगा है। गरीबी और मजबूरी में हड़िया शराब निर्माण और बिक्री के कार्य से जुड़ी महिलाओं ने योजना का लाभ लिया और अपने आत्मविश्वास के बदौलत बदलाव की कहानी गढ़ने लगीं। यह सुखद क्षण है। महिलाएं सरकार का हिस्सा बनें। राज्य के विकास में साथ दें। महिला पुरुष साथ आयेंगे तभी राज्य आगे बढ़ेगा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने साहिबगंज जिले की महिला विनीता हेंब्रम से संवाद किया। विनीता हेंब्रम पहले दारू हड़िया बेच कर अपना पेट भरती थी। बाद में उन्हें फूलों झानो योजना अंतर्गत 10000 का ब्याज रहित ऋण दिया गया। विनीता ने बताया कि मिली राशि से वह बकरी पालन एवं खेती से जुड़े कार्य कर रही है। सरकार की योजना एवं जेएसएलपीएस से जुड़कर उन्होंने टुकटुक खरीदा जिसके माध्यम से अब अच्छी कमाई कर रहीं है। उनका जीवन स्तर सुधर गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अन्य ग्रामीणों को भी योजना से जुड़े लाभ बताएं एवं दारू हरिया बेचने वाली समस्त महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने की सीख दें। इस दौरान उपायुक्त रामनिवास यादव ने बताया कि फूलो झानो योजना के तहत जिले की 275 महिलाओं को लाभान्वित करने का लक्ष्य दिया गया था। ऐसे में जिले से दारू हड़िया बेच कर अपना जीवन चलाने वाली महिलाओं को चिह्नित कर उन्हें सम्मानजनक जीवन व्यतीत करने के लिए योजना अंतर्गत 10000 की ब्याज रहित राशि उपलब्ध कराई गई। सभी 275 महिलाओं ने खेती से जुड़े कार्य, मुर्गी पालन, बकरी पालन, सूअर पालन, किराना दुकान, मनिहारी दुकान एवं अन्य जीविकोपार्जन का साधन चुना और अभी सम्मान पूर्वक अपना जीवन बसर कर रहीं हैं। साथ ही वह आर्थिक रूप से सु²ढ़ होने के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में भी काफी सुधार आया है।


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