योजनाओं को आमलोगों तक पहुंचाने में मुखियों की भूमिका अहम
साहिबगंज साहिबगंज कॉलेज के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. सुरेश्वरनाथ ने कहा कि योजनाओं को आमलोगों तक पहुंचाने में मुखियों की अहम भूमिका है। सभी मुखिया अपने इन मौलिक कार्यों को ईमानदारी के साथ करें तभी लोगों का जीवनस्तर उन्नत होगा।
साहिबगंज : साहिबगंज कॉलेज के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. सुरेश्वरनाथ ने कहा कि योजनाओं को आमलोगों तक पहुंचाने में मुखियों की अहम भूमिका है। सभी मुखिया अपने इन मौलिक कार्यों को ईमानदारी के साथ करें तभी लोगों का जीवनस्तर उन्नत होगा। वे सोमवार को दैनिक जागरण की ओर से झारखंड की जन आस-संस्कृति, संपदा व विकास विषय पर स्थानीय सूर्या पारा मेडिकल इंस्टीट्यूट के सभागार में आयोजित परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व डॉ. सुरेश्वरनाथ, डॉ. विजय व डॉ. बनार्ड हांसदा ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। डॉ. सुरेश्वरनाथ ने कहा कि यहां के लोगों को अपनी संस्कृति व सभ्यता को अक्षुण्ण रखते हुए विकास का मार्ग चुनना होगा। उनके समक्ष चुनौतियां कुछ अधिक है। कहा कि 55 साल से वे साहिबगंज में रहते हैं। गांव व कस्बों से आए गरीब, दलित आदिवासी छात्रों के साथ उनका संपर्क रहा है। गरीबों एवं महिलाओं के लिए सबसे बड़ी कमी यह दिखती है कि सरकार जो पैसा देती है वह उनतक नहीं पहुंच पाती है। बैंक से पैसा निकालने में काफी दिक्कत होती है। बिचौलिया हावी रहते हैं। सरकार की ओर से लड़कियों को छात्रवृति दी जाती है। पोशाक व साइकिल दी जाती है परंतु इसका लाभ सभी लोगों को नहीं मिल पाता है। मुखिया की उर्जा गांव के स्कूलों के बेहतर संचालन में लगनी चाहिए।
पर्यटन की अपार संभावना : शहर के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. विजय कुमार ने कहा कि संस्कृति का विकास तभी होगा जब शिक्षा का विकास होगा। संताल परगना में पिछड़ेपन ज्यादा है। इसे जनप्रतिनिधि ही दूर कर सकते हैं। सभी बुनियादी समस्याओं का मिलकर समाधान कर सकते हैं। इसके लिए पिछली सरकार ने कार्य किया अब नई सरकार से उम्मीदें हैं। सरकार को श्रेष्ठ तरीके से काम करना चाहिए। मुखिया को भी बेहतर तरीके से काम करना चाहिए क्योंकि श्रेष्ठता की कोई सीमा नहीं होती है। कहा कि जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां के प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों को रोड एवं रेल कनेक्टिविटी से जोड़कर विकास किया जाए तो आदिवासियों की संस्कृति की रक्षा के साथ उन्नति भी हो सकती है। जंगल व पहाड़ की रक्षा भी हो सकती है तथा लोगों को रोजगार भी मिल सकता है लेकिन राज्य सरकारों ने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है। उम्मीद है कि नई सरकार इस ओर ध्यान देगी।
शिक्षित होना जरूरी : साहिबगंज कॉलेज के संताली विभाग के बर्नाड हांसदा ने कहा कि संतालों का कल्चर अन्य जातियों से अलग है। संतालों को देखकर ही उनकी पहचान हो सकती है। उनका पहनावा व वेशभूषा सभी अलग है। आदिवासी पारंपरिक वेशभूषा में रहते हैं। झारखंड में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है। इसलिए आदिवासियों की प्रगति के लिए उन्हें शिक्षित होना जरूरी है। शिक्षित समाज ही विकास को गति प्रदान कर सकता है। शिक्षित परिवार से ही शिक्षित समाज व शिक्षित राज्य बन सकता है। शिक्षा के महत्व के साथ कल्चर को बरकरार रखने पर भी बर्नाड हांसदा ने बल दिया। कहा कि पढ़ लिखकर ही सभी अच्छे नागरिक बन सकते हैं।
आदिवासी सभ्यता संस्कृति की रक्षा जरूरी : समाजसेवी व्यवसायी बोदी सिन्हा ने बताया कि साहिबगंज जिले में टूरिज्म का विकास हो सकता है। पहाड़ों की रक्षा कर आदिम जनजाति एवं आदिवासी संस्कृति की रक्षा की जा सकती है। औद्योगिक क्षेत्र का विकास भी हो सकता है। नमामि गंगे से काम भी हो रहा है। पर्यटन का विकास हो तो राजमहल की पहाड़ियों के माध्यम से आदिवासी समाज का विकास भी हो सकता है।