इन गांवों में लड़खड़ा रहे विकास के पांव
बीते 70 साल में यहां की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। गांव के स्कूलों को देख यहां की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। समाजसेवी शिवचरण मालतो कहते हैं कि गांव में विकास की किरण अब तक नहीं पहुंची है। अनेक प्रकार की समस्याएं यहां हैं। गांवों में बिजली पानी आदि की व्यवस्था करने की जरूरत है।
जागरण संवाददाता, साहिबगंज : पूर्व मुख्यमंत्री व महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में विकास की गाड़ी काफी लेट चल रही है। बरहेट प्रखंड की ऐतिहासिक भोगनाडीह पंचायत के दर्जनों गांव आज भी समस्याओं का अंबार लगा है। आजादी के छह दशक के बावजूद आदिम जन जाति के लोग विकास से महरूम हैं। टाटगेभीठा, दानीनाटरे, टाटभिट्ठा, सिगाकुड़िया, गेराकेपू, चुकलीमाको, पकड़ी पहाड़, चुकलीबेड़ो, नीराभिट्ठा, मासकेपू, बेडोकेपू, बीजमाको, राजापानी, डुमरीमाको, डुमरीबेड़ो, दानीभिट्ठा, माकोडालवा, लेटरा, छोटा जार पहाड़, बड़ा जार पहाड़, मकली गांव तक जाने के लिए सड़क ही नहीं है।
गांव में ग्रामीण विद्युतीकरण के तहत पोल एवं तार लगाया गया है लेकिन बीते पांच सालों में गांव में अब तक बिजली नसीब नहीं हुई है। गर्मी आते ही गांवों में पेयजल की समस्या गंभीर हो जाती है। झरने के पानी से लोग प्यास बुझाते हैं। गांव में जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक पतना प्रखंड के बांसकोला एवं दूसरा बरहेट होकर। गांव के लोग पहाड़ों के कंद मूल व बरबट्टी बेचकर अपनी जरूरत की पूर््ित करते हैं। इनके लिए प्रशासन द्वारा मेशो योजना के तहत आवास योजना एवं कई तरह की योजनाएं चलाई गई लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है। बीते 70 साल में यहां की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। गांव के स्कूलों को देख यहां की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। समाजसेवी शिवचरण मालतो कहते हैं कि गांव में विकास की किरण अब तक नहीं पहुंची है। अनेक प्रकार की समस्याएं यहां हैं। गांवों में बिजली, पानी आदि की व्यवस्था करने की जरूरत है।
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हेमंत सोरेन के बरहेट से विधायक चुने जाने के बाद विगत चार साल में करीब 80 सड़कों की स्वीकृति मिली। कुछ का काम पूरा हो चुका है तो कुछ पर काम चल रहा है। विकास की झलक दिख रही है। विपक्ष के नेता होने की वजह से सरकार इस विधानसभा क्षेत्र के प्रति सौतेला व्यवहार कर रही है। इस वजह से कुछ परेशानी हो रही है। पहले विधायक की अनुशंसा पर चापाकल लगाया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। पेजयल की समस्या के प्रति सरकार जिम्मेदार है।
पंकज मिश्रा, विधायक प्रतिनिधि, बरहेट