अयोध्या में मंदिर शिलान्यास तो राजमहल में दीपोत्सव
राजमहल अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के मौके पर पूरे नगर क्षेत्र में उत्सवी माहौल
राजमहल : अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के मौके पर पूरे नगर क्षेत्र में उत्सवी माहौल बनाने में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद सहित अन्य तमाम हिदूवादी संगठन लगे हुए हैं। आरएसएस के जिला सह संपर्क प्रमुख नीरज घोष ने नगर क्षेत्र में अवस्थित मंदिरों, महापुरुषों के स्मारक स्थल व घर-घर में दीपोत्सव मनाने के लिए दीप वितरण करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि आज का दिन प्रत्येक सनातनी भारतवासी के लिए ऐतिहासिक है। इस पुनीत और ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने के लिए हम सभी को ना सिर्फ अपने अपने घरों बल्कि आसपास के मंदिरों में भी दीप जला कर पूरे क्षण को विश्व इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित करवाने का संकल्प लेना चाहिए।
भगवान राम मानवता के सूचक : विहिप के साहिबगंज विभाग सह मंत्री कालीचरण मंडल ने कहा कि श्रीराम मानवता के सूचक हैं। ऐसे में सभी मानव के लिए यह गर्व की बात है। हिन्दू धर्मावलंबियों को मंदिर शिलान्यास तिथि को धार्मिक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों को अपने घरों में या आसपास के मंदिरों में शारीरिक दूरी का अनुपालन करते हुए दीपोत्सव अवश्य मनाया जाना चाहिए। विहिप के जिला कोषाध्यक्ष ध्रुव गुप्ता ने बताया कि विश्व हिन्दू परिषद आज के इस पावन मौके पर घर-घर कम से कम पांच दीप रौशन करने के लिए जागरूक कर रही है तथा लोगों से अपील कर रही है कि वे सरकार के गाइडलाइन के अनुरूप अपने अपने घरों व मंदिरों में रामनामी पताका फहराएं और शंखनाद अवश्य करें।
अविस्मरणीय होगा क्षण : विहिप के जिला उपाध्यक्ष सह अधिवक्ता अशोक राम ने कहा कि यह क्षण उनके जीवन का एक अविस्मरणीय व आश्चर्यचकित करने वाला क्षण है। बीते 2018 में विश्व हिन्दू परिषद् के एक शिष्टमंडल ने झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन देकर श्रीराम जन्मभूमि में राम मंदिर निर्माण की मांग की थी। उक्त शिष्टमंडल में वे भी एक सदस्य थे। उनलोगों को इस बात की तनिक भी आशा नही थी कि मात्र दो वर्षों के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भव्य श्रीराम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी। प्रत्येक हिन्दू धर्मावलंबी बुधवार को अपने अपने घरों में ही रामलला की विशेष पूजन कर और संध्या के समय दीपोत्सव कर इस ऐतिहासिक क्षण को उत्सव का स्वरूप प्रदान करें।