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शिवरात्रि के लिए सज गया शिवगादी मंदिर

बरहेट (साहिबगंज) : महाशिवरात्रि को लेकर बाबा गाजेश्वर नाथ धाम शिवगादी को आकर्षक तरीके से सजाया गया ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 07:22 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:17 AM (IST)
शिवरात्रि के लिए सज गया शिवगादी मंदिर
शिवरात्रि के लिए सज गया शिवगादी मंदिर

बरहेट (साहिबगंज) : महाशिवरात्रि को लेकर बाबा गाजेश्वर नाथ धाम शिवगादी को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। शुक्रवार से शुरू हो रहे महाशिवरात्रि को लेकर शिवगादी मंदिर परिसर की साफ-सफाई एवं रंगाई पुताई कर दी गई है। शिवगादी में पूजा करने व मेला देखने के लिए श्रद्धालुओं का आगमन प्रारंभ हो गया है। महाशिवरात्रि पर शिवगादी प्रबंध समिति की ओर से शिव पार्वती विवाह के लिए आकर्षक झांकी निकाली जाती है। इसमें भक्त भोले शंकर का रूप धारण कर भूत दैत्य की सजावट के साथ आकर्षक झांकी में शामिल होते हैं जो शिवगादी परिसर में निकाली जाती है। शिव बरात को लेकर शिवगादी परिसर में हजारों श्रद्धालुओं का जमघट लगता है। शिव पार्वती विवाह से पूर्व शिव बरात में शामिल होने के लिए श्रद्धालु यहां पर आते हैं। तीन दिन में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। महाशिवरात्रि पर 21 से 23 फरवरी तक मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें झारखंड, बिहार, बंगाल, उड़ीसा के अलावा नेपाल से भी श्रद्धालुओं का आगमन होता है। विदिन समाज के आदिवासी साफाहोड़ अपने गुरु बाबाओं के साथ पहुंचकर भोले शंकर की आराधना करते हैं। श्रद्धालुओं के लिए वॉल पेंटिग आकर्षक का केंद्र बना है। शिवगादी प्रबंध समिति की ओर से मंदिर परिसर व धर्मशाला के दीवारों में देवी-देवताओं की वॉल पेंटिग की गई है जिसमें भोले शंकर, पार्वती, गणेश, लक्ष्मी के अलावा कई पेंटिग शामिल है। बताया जाता है कि वॉल पेंटिग की सुंदरता देख पर्यटकों को सेल्फी लेने का क्रेज बढ़ गया है। जानकारों की माने तो शिवगादी का इतिहास शिव पुराण की चर्चा में आया है। जिसमें बताया जाता है कि दैत्य गजासूर के नाम पर शिवगादी का नाम रखा गया है। गजासुर नामक दैत्य इस स्थल पर भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कई वर्षों तक तपस्या किया व भगवान शंकर से वर प्राप्त किया। वर प्राप्त करने के बाद दैत्य काफी अत्याचार करना शुरू कर दिया। जिससे त्रस्त होकर ऋषि मुनि सहित अन्य ने भगवान से गुहार लगाया व वध करने की मांग की। भोले शंकर ने गजासुर का वध इसी स्थान पर किया। मरते समय भी गजासूर ने भगवान शंकर से प्रार्थना की कि वह तब प्रसन्न होगा जब स्थापित शिवलिग उसके नाम से जाना जाएगा। तबसे गजासूर के नाम से ही गाजेश्वर के नाम से जाना जाने लगा है। इतिहासकारों की मानें तो इस स्थल पर राजा मानसिंह ने कई बार पूजा-अर्चना की थी। बताया जाता है कि राजमहल स्थित सिंहीदलान के पास से सुरंग के रास्ते से वह सीधे शिवगादी मंदिर में प्रवेश कर पूजा अर्चना करते थे। शिवगादी प्रबंध समिति का अध्यक्ष अंजित भगत ने बताया कि महाशिवरात्रि मेले का उद्घाटन 21 फरवरी को उपायुक्त वरुन रंजन करेंगे। महाशिवरात्रि मेले को लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना हो। इसके लिए व्यापक व्यवस्था की गई है।

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