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200 किमी पैदल चलकर पहुंचे तालझारी

दिल्ली कोलकाता भागलपुर पूर्णिया सुल्तानगंज सहित अन्य बड़े शहरों से घर लौटने वालों की आपाधापी मंगलवार को भी देखी गई। देश भर में 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही अन्य प्रदेशों में रोजगार के लिए पलायन मजदूर के अलावे छात्र भी काफी परेशान है। खासकर मजदूरों की जिदगी इसलिए भी अधिक खराब हो गई है कि वे रोजगार की तलाश में अपने घर परिवार को छोड़कर दूसरे राज्य में काम करने गये है। अचानक से लॉकडाउन की घोषणा हुई और एक-दो दिन में काम बंद कर दिए गये। इससे मजदूरों को रोजगार खत्म हो गया और खाने-पीने में भी आफत आ गई। पश्चिम बंगाल के मालदा जिला अंतर्गत धरमपुर मिल्की मानिकचक इनायतपुर शोभानगर सहित अन्य गाँव के रहने वाले शेख हकीम शेख आलमगीर शेख कुर्बान शेख महता रूबेल खान शेख मिथुन शेख टारजन शेख सफे आलम शेख नवरूल शेख साजन

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 12:00 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 06:12 AM (IST)
200 किमी पैदल चलकर पहुंचे तालझारी
200 किमी पैदल चलकर पहुंचे तालझारी

संवाद सहयोगी, तालझारी (साहिबगंज) : पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के धरमपुर, मिल्की, मानिकचक, इनायतपुर शोभानगर सहित अन्य गांव के रहने वाले शेख हकीम, शेख आलमगीर, शेख कुर्बान, शेख महता, रूबेल खान, शेख मिथुन, शेख टारजन, शेख सफे आलम, शेख नवरूल, शेख साजन सहित अन्य मजदूर भागलपुर में बिजली का काम करते थे। लॉकडाउन होने से सभी काम बंद हो गया। ठेकेदार ने भी हाथ खड़े कर दिये। इससे उन लोगों के समक्ष खाने-पीने की आफत हो गई। उनलोगों के पास उतनी राशि भी नहीं थी कि 20-25 दिन घर में बैठकर भोजन कर सके। मजदूरी करने के बाद जो राशि उन्हें मिलती थी उससे कुछ राशन-पानी के लिए रखकर घर भेज देते थे ताकि घर में भी मां-बाबूजी, पत्नी व बच्चे का भरण-पोषण हो सके। इस तरह यहां स्वयं का पेट भर पाना मुश्किल जान घर वापस जाना ही उचित समझा। उनलोगों ने बताया कि ग्रुप के लोगों से सलाह-मशवरा करने के बाद सड़कों पर वाहन न चलने के कारण पैदल ही घर जाने का निर्णय लिया। सभी लोग अपनी आवश्यक चीजों को एक बैग में भरकर करीब 200 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही आरंभ कर दी। कहीं-कहीं पुलिस की टीम उन्हें रोकती और जरूरी पूछताछ व जांच कर आगे बढ़ा देते। किसी दयावान व्यक्ति को उन पर दया आता तो उन्हें नाश्ता, चाय-पानी भी करवा देते थे। किसी तरह आगे की ओर बढ़ते रहे और मंगलवार को राजमहल पहुंच गये। यहां गंगा पार कर ही घर जा सकते थे। राजमहल में भी स्वास्थ्य जांच की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा तब जाकर किसी तरह एक नाव की व्यवस्था मिली और गंगा नदी पार कर गये। पैदल चलते-चलते पांवों में छाले भी पड़ गए।

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