रेल की पटरी से मापी सौ किलोमीटर की दूरी
वैश्विक स्तर पर तबाही मचा रहे कोरोना वायरस मनुष्यों के लिए संकट बन गया है। जनता कर्फ्यू व फिर लॉकडाउन जैसी हालातों से जहां एक ओर जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है वहीं यातायात के सार्वजनिक साधनों के बंद होने के कारण अपने गंतव्य तक पहूंचने के लिए लोगों को बैकफुट पर ला दिया है।राधानगर थाना क्षेत्र के आतापुर पंचायत के केशववाटी के दो प्रवासी मजदूरों को अपने घर तक आने के लिए रेल की पटरी पर सौ किलोमीटर से अधिक पैदल चलना पड़ा है।केशववाटी के हादु सोरेन तथा पश्चिम बंगाल का रहने वाले सुशांतो टुडू के साथ मजदूरी करने के लिए दो माह पूर्व पंजाब गया था।देश भर में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से वाकिफ होने के बाद दोनों युवक किसी तरह ट्रेन से रविवार सुबह भागल
उधवा (साहिबगंज) : लॉकडाउन के चलते दो प्रवासी मजदूरों को अपने घर तक आने के लिए रेल की पटरी पर सौ किलोमीटर से अधिक पैदल चलना पड़ा। केशववाटी के हादु सोरेन व पश्चिम बंगाल का सुशांतो टुडू मजदूरी करने के लिए दो माह पूर्व पंजाब गया था। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से वाकिफ होने के बाद दोनों युवक किसी तरह ट्रेन से रविवार सुबह भागलपुर पहुंचे।
जनता कर्फ्यू की वजह से वे पूरे दिन रेलवे स्टेशन पर रहे। उन्हें उम्मीद थी कि ट्रेनों का परिचालन पुन: शुरू हो जाएगा लेकिन रेल सेवाओं के बंद होने के कारण दोनों युवक के घर आने का एक मात्र विकल्प पैदल ही रह गया था। लिहाजा दोनों ने रेलवे की पटरी को सफर के लिए राह चुनी व लगभग 115 किलोमीटर की दूरी तय कर भूखे प्यासे ही बुधवार सुबह गांव पहुंचे।
दो दिन के लगातार सफर में किसी दुकानदार या किसी व्यक्ति ने कोरोना संक्रमण के भय से दोनों को खाना तक नहीं दिया। पानी के एक-एक बूंद के लिए दोनों तरसे।
बुधवार को गांव पहुंच कर पंचायत की मुखिया सुशीला किस्कू व पारा शिक्षक विजय मुर्मू को आपबीती बतायी। कहा कि दूसरे राज्य से आने के क्रम में लंबे समय तक ट्रेन के अंदर तथा सार्वजनिक स्थानों में रहने के कारण यदि उसे भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है तो इसके लिए वह चिकित्सकीय जांच कराने को तैयार है। सिर्फ हादु सोरेन ही नहीं उधवा प्रखंड के विभिन्न हिस्सों में आ रहे प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन के कारण अपने घर तक आने में परेशानी हो रही है। कुछ लोग अब भी बाहर फंसे हुए हैं।
केरल तथा महाराष्ट्र से लौटे कुछ मजदूरों को कोलकाता से उधवा आने के लिए एक एक व्यक्ति को 1500 रुपये तक का किराया देना पड़ा है। फुदकीपुर, नौघरिया तथा जंगलपाड़ा में लगभग 40 मजदूर मंगलवार को लौटे। उन्हें काफी राशि खर्च करनी पड़ी।