कैजेला एप से मॉनीटरिग का विरोध
स्वास्थ विभाग द्वारा 1 जनवरी से कैजला एप का उपयोग करने को निर्देश दिया गया था। इसी के विरोध में एनआरएचएम कर्मी से शनिवार को सिविल सर्जन कार्यालय में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। धरना प्रदर्शन का नेतृत्व संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष शशी कांत कुमार कर रहे थे। धरना दे रहे कर्मचारियों ने सिविल सर्जन हाय-हाय कैजला एप के जन्म देने वाला हाय-हाय कैजला एप बंद करो- बंदर करो का नारे लगाये जा रहे थे। कर्मचारियों ने कहना था कि यदि एप का उपयोग करना है तो सभी को करना चाहिए। सिर्फ आरएचएम कर्मियों पर क्यूं उपयोग किया जा रहा है। कहा कि एप का उपयोग करने के लिए नेट चाहिए। लेकिन बहुत जगह नेट नहीं रहता है। जिस वजह से हम रिपोर्ट नहीं कर पाते है। धर
साहिबगंज : कैजेला एप के माध्यम से मॉनीटरिग का विरोध राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से जुड़े कर्मियों ने शुरू कर दिया है। इस संबंध में शनिवार को विभाग के बहुद्देशीय कार्यकर्ताओं (एमपीडब्लू) ने सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष धरना दिया। इसका नेतृत्व संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष शशिकांत कुमार ने किया। कर्मचारियों का कहना था कि यदि एप का उपयोग करना है तो सभी को करना चाहिए। सिर्फ एनआरएचएम कर्मियों पर क्यों उपयोग किया जा रहा है। कहा कि एप का उपयोग करने के लिए नेट चाहिए। कई जगह नेट नहीं रहता है। इस वजह से हम रिपोर्ट नहीं कर पाते हैं। धरना प्रदर्शन के बाद साहिबगंज पहुंचे अपर निदेशक सह राज्य प्रोग्राम पदाधिकारी डॉ. बी मरांडी को एक ज्ञापन सौंपा। आवेदन में लिखा है कि एप पर रिपोर्ट भेजने में कई प्रकार की समस्या आ रही है। इस अवसर पर अपर निदेशक ने कर्मचारियों की समस्या पर विस्तार से चर्चा की और कर्मचारियों को समझाया-बुझाया। उन्होंने एप का उपयोग करने को कहा। इस मौके पर गोणा मंडल, मुरारी गोड़, दीपक कुमार, सुधीर कुमार, ओबेस अंसारी, बबलू हांसदा, जहांगीर कृष्णाकांत, विजय पासवान, सुधांशु भगत, प्रदीप कुमार मंडल, रूपेश पासवान, विजय कुमार तिवारी, ललित कुमार आदि मौजूद थे।
इस माह से एप का प्रयोग अनिवार्य : राज्य के चार जिलों-साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा व दुमका में कालाजार उन्मूलन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। साहिबगंज में इसकी मॉनीटरिग कैजेला एप के माध्यम से की जा रही है। इसके माध्यम से ऑनलाइन पेपरलेस मॉनीटरिग होती है। एमपीब्लू का ऑनलाइन लोकेशन एप पर दिखता है। यहां इस माध्यम से मॉनीटरिग की सराहना विश्व स्वास्थ्य संगठन के पदाधिकारी कर चुके हैं। इस वजह से अन्य जिलों में भी इसे लागू करने की बात चल रही है। इस वजह से यहां के एमपीडब्ल्यू इसका विरोध कर रहे हैं।