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चाक के साथ धीमी हुई जिंदगी की रफ्तार

धनंजय मिश्र, साहिबगंज: साहिबगंज जिले में कभी मिट्टी के दीये बनाकर खुशहाल रहनेवाले कुम्हारों की ¨जदगी

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 05:29 AM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 05:29 AM (IST)
चाक के साथ धीमी हुई जिंदगी की रफ्तार
चाक के साथ धीमी हुई जिंदगी की रफ्तार

धनंजय मिश्र, साहिबगंज: साहिबगंज जिले में कभी मिट्टी के दीये बनाकर खुशहाल रहनेवाले कुम्हारों की ¨जदगी अब बदहाल हो रही है। अब कम घूम रहे चाक जैसी ही उनकी ¨जदगी की रफ्तार भी धीमी हो गई है। राज्य सरकार की ओर से माटी कला बोर्ड बनाकर साहिबगंज जिले को मॉडल बनाने की घोषणा तो कर दी गई है परंतु इसका लाभ भी 10 माह बाद भी नहीं की गई है।

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जिले के कुम्हार समाज के लोग जो जिले भर में मिट्टी से दीया, गमला, घड़ा सहित अन्य सामान बनाने का काम करते हैं उन्हें इसकी उचित कीमत नहीं मिल पाती है। वर्तमान में जिले के बाजारों में विदेशी दीयों व बल्बों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। ऐसा नहीं है कि कुम्हार आज मिट्टी की सुंदर आकृति नहीं बना सकते, परंतु बाजार नहीं मिल रहा है।

जिले के साहिबगंज, राजमहल, उधवा, बरहड़वा, पतना, बरहेट, बोरियो, मंडरो बाजार व देहाती क्षेत्र में कुम्हार समाज के लोग अब भी मिट्टी के दीया, कुल्हड़, सुराही सहित अन्य उत्पाद बनाकर जीवन यापन कर रहे हैं।

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बढ़ती महंगाई से कुम्हार समाज की हालत ¨चताजनक

जिले के बाजारों में विदेशी व चाइनिज सामान सस्ते दर पर उपलब्ध हैं। जिले के पुरानी साहिबगंज के उमेश पंडित, फेंकू पंडित, सुराज पंडित ने बताया कि कुम्हार अपने उत्पाद का मुकाबला विदेशी प्रोडक्ट से नहीं कर पा रहे हैं। कुम्हार मुश्किल में ¨जदगी जीने को मजबूर हो रहे हैं। कुम्हार समाज की हालत महंगाई के दौर में ¨चताजनक होती जा रही है। परिवारों को किसी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं मिल पा रही है। आधुनिक परिवारों में बच्चों का मिट्टी से बने खिलौने से मोहभंग होता जा रहा है। परिवारों की आय कम होने का असर आजीविका पर भी पड़ रहा है। गुलशन पंडित, राज कुमार पंडित एवं शुभेंदु पंडित ने बताया कि दीपावली पर चाइ¨नज बल्बों एवं डालरों का प्रयोग अब ज्यादा होता जा रहा है। बाजारों में मिट्टी के वजाय प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं की मांग बढ़ती जा रही है। अब दीपावली पर दीपक की वजाय मोमबत्ती जलाने एवं सजावटी रोशनी का सहारा लोग ज्यादा ले रहे हैं। यही वजह है कि कुम्हारों की नपी पीढ़ी माटी से दूर होती जा रही है।

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जून 17 में की हुई माटी कला बोर्ड की स्थापना

साहिबगंज में राज्य सरकार के प्रयास से माह जून 17 में माटी कला बोर्ड की जिला इकाई की स्थापना की गई है। बोर्ड के माध्यम से चाक का वितरण भी कर दिया गया है। परंतु इसके बाद भी कुम्हारों की माली हालत में सुधार नहीं हो रहा है। जिला को मॉडल बनाने की घोषणा के बाद समाज को केवल बाजार उपलब्ध कराया गया है। बोर्ड के सदस्य अपनी समस्या को लेकर उपायुक्त से मिल चुके हैं। उपायुक्त ने केवल यह आश्वासन दिया है कि बाजार में मिट्टी के उत्पाद बेचने पर टैक्स नहीं लगेगा। परंतु बोर्ड के सदस्य इसे नाकाफी बताते हैं। प्रजापति समाज के सदस्यों का कहना है कि जिले में उजली मिट्टी की बहुतायत को देखते हुए उद्योग राजमहल क्षेत्र में लगना चाहिए ताकि बेरोजगारों को उद्योग मे नियोजित किया जा सके।

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कोट

माटी कला बोर्ड की जिला इकाई के गठन के बाद कुम्हार समाज को सुविधा दिलाने का प्रयास चल रहा है। परंतु अबतक कोई खास सफलता नहीं मिली है। समाज के लोगों को विदेशी उत्पादों से दीपावली बाजार में प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। जिला प्रशासन से सुविधा दिलाने का आग्रह किया गया है।

प्रकाश प्रजापति, जिला संयोजक

माटी कला बोर्ड, साहिबगंज।


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