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झारखंड में संताल पर जमात-उल-मुजाहिदीन की निगाहें, घुसपैठियों के दम पर बना रहे पैठ

Jamaat ul Mujahideen. वर्धमान ब्लास्ट में शामिल आतंकियों की साहिबगंज से हुई गिरफ्तारी के बाद झारखंड सरकार की नींद उड़ी है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 01:14 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 01:14 PM (IST)
झारखंड में संताल पर जमात-उल-मुजाहिदीन की निगाहें, घुसपैठियों के दम पर बना रहे पैठ
झारखंड में संताल पर जमात-उल-मुजाहिदीन की निगाहें, घुसपैठियों के दम पर बना रहे पैठ

साहिबगंज, धनंजय मिश्र। संताल का साहिबगंज व पाकुड़ जिला। जाली नोट, मवेशी तस्करी, अफीम तस्करी का गढ़ बन चुका है। बांग्लादेशियों की घुसपैठ ने यहां आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) और प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया के लिए भी जमीन तैयार कर दी है। ये संगठन साहिबगंज व पाकुड़ में पैठ बनाकर संताल के सभी जिलों में अपनी जड़ें मजबूत करने की जुगत में हैं। वर्धमान ब्लास्ट में शामिल आतंकियों की साहिबगंज से हुई गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार की भी नींद उड़ी है। राज्य सरकार ने साहिबगंज के बरहड़वा में आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) का कार्यालय भी खोलने की तैयारी कर दी है।

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सूत्रों की मानें तो साहिबगंज में बड़ी संख्या में रह रहे घुसपैठिये आतंकियों को पनाह देते हैं। इनके तार भारत से लेकर बांग्लादेश तक तस्करी नेटवर्क से जुड़े हैं। इसके दम पर आतंकी संगठनों को फंडिंग भी हो रही है। साहिबगंज व आसपास के फरक्का, मालदा जैसे सीमावर्ती इलाकों में जमात उल मुजाहिद्दीन और पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया की गतिविधियां बढ़ी है। साहिबगंज का बरहड़वा और राधानगर इलाका इनके लिए ऐशगाह बना हुआ है। यहां से बंगाल के रास्ते मालदा कालियाचक होते हुए अफीम की खेप बांग्लादेश के चपाई नवाबगंज और नौगांव भेजी जाती है। चपाई नवाबगंज से जाली नोट मालदा और साहिबगंज भेजे जाते हैं। यहां से उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में खपाने के लिए भेजा जाता है। तंत्र की काली भेड़ों के दम पर झुंड के झुंड गोवंश को गंगा नदी के माध्यम से बांग्लादेश भेजा जाता है। वाहनों से भी गोवंश की तस्करी हो रही है। हाल में साहिबगंज के सीमावर्ती मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का के रघुनाथगंज थाना क्षेत्र से जेएमबी के दो आतंकियों को जाली नोटों की खेप के साथ पकड़ा गया।

24 वर्ष पहले हुई थी 17054 बांग्लादेशियों की पहचान

संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ 1970 के दशक से हो रही है। संताल के सभी छह जिलों साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, जामताड़ा, दुमका, देवघर तक इनकी पहुंच हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर 1994 में साहिबगंज के तत्कालीन आयुक्त सुभाष शर्मा ने जिले में मतदाता सूची पुनरीक्षण कराया था। तब 17,054 बांग्लादेशियों की पहचान हुई थी। इनका नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी। बाद में सरकार की ओर से ठोस पहल नहीं हुई और मामला टांय टांय फिस्स हो गया।

साहिबगंज इलाके में पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया की गतिविधियां संचालित होने की सूचना है। पुलिस सजग है। देश विरोधी तत्वों के मंसूबों को ध्वस्त कर देंगे। साहिबगंज में एटीएस का कार्यालय खोलने की बात हो रही है। हालांकि हमें अभी विधिवत सूचना नहीं मिली है।

-एचपी जनार्दनन, एसपी, साहिबगंज।


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