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लुप्त प्राकृतिक जल स्रोतों को मिलेगी पहचान

साहिबगंज जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में बंद पड़े प्राकृतिक जल स्त्रोतों की पहचान कर उसे चालू करने का प्रयास जिला प्रशासन करेगा। इसके लिए भारतीय जैम संगठन को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। पहाड़ी क्षेत्रों में नये जल स्त्रोतों बनाकर पहाड़िया गावों के लोगों की प्यास बुझाने का काम भी भारतीय जैम् संगठन करेगा। रांची में हुए ग्लोबल कृषि व फुड समिट में संगठन ने साहिबगंज जिले में कार्य करने की इच्छा जतायी है। ग्लोबल कृषि व फूड समीट में साहिबगंज जिले से संबंधित एमओयू एवं कंपनियों की ओर से विकास कार्य कराने को लेकर प्रशासन प्रतिबद्ध है। विकास को जमीन पर उतारने के लिए आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने का कार्य प्रशासन करेगा। भारतीय जैन संगठन पेयजल एवं ¨सचाई की जरुरतों को पूरा करने को लेकर कार्ययोजना जिले में तैयार करेगी। जबकि नेटाफाम ¨सचाई की जरुरत को पूरा करने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर जिले के अन्य क्षेत्रों में प्लान तैयार करेगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 08:21 AM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 08:21 AM (IST)
लुप्त प्राकृतिक जल स्रोतों को मिलेगी पहचान
लुप्त प्राकृतिक जल स्रोतों को मिलेगी पहचान

साहिबगंज: साहिबगंज जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में लुप्त प्राकृतिक जल स्रोतों को तलाश का उसे नई पहचान दी जाएगी। साथ ही इसे चालू करने का प्रयास जिला प्रशासन करेगा। इसके लिए भारतीय जैम संगठन को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यह संगठन पहाड़ी क्षेत्रों में नये जल स्रोतों को बनाकर पहाड़िया गावों के लोगों की प्यास बुझाने का काम करेगा।

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बता दें कि रांची में हुए ग्लोबल कृषि व फृड समिट में संगठन ने साहिबगंज जिले में कार्य करने की इच्छा जताई है।

ग्लोबल कृषि व फूड समीट में साहिबगंज जिले से संबंधित एमओयू एवं कंपनियों की ओर से विकास कार्य कराने को लेकर प्रशासन प्रतिबद्ध है। विकास को जमीन पर उतारने के लिए आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने का कार्य प्रशासन करेगा। भारतीय जैन संगठन पेयजल एवं ¨सचाई की जरुरतों को पूरा करने को लेकर कार्ययोजना जिले में तैयार करेगी। जबकि नेटाफाम ¨सचाई की जरुरत को पूरा करने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर जिले के अन्य क्षेत्रों में प्लान तैयार करेगी।

राजमहल की पहाड़ियों पर विशेष ध्यान

साहिबगंज जिले के मिर्जाचौकी से लेकर पतना तक राजमहल की पहाड़ियों में सालों पहले करीब 51 प्राकृतिक जल स्रोत का पानी पहाड़ी से उतरकर नीचे आता था। खासकर झरना के पानी से पहाड़ी लोगों के अलावा मवेशियों एवं पहाड़ी जीव जंतुओं की प्यास बुझती थी परंतु अब बहुत कम झरने बचे हैं। पहाड़ों को खोदने वाले पहले झरने का खोदकर पत्थर निकालने का काम करते हैं। जिसका नतीजा है कि महादेवगंज का एक बहुचर्चित झरने का तो अस्तित्व भी खत्म हो गया है। पैसा कमाने की आड़ में प्रशासनिक अमलों से मिलकर पत्थर माफिया प्राकृतिक जल स्रोत खत्म करने पर आमादा है। अब 51 ऐसे पहाड़िया गांव की पहचान की गई है जहां जल संकट है। पीने का पानी नहीं है। यही वजह है कि अब जिला प्रशासन भारतीय जैम संगठन के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने का प्रयास करेगी। इसके लिए जमीनी प्लान तैयार किया जाएगा।

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वर्जन

जिले में भारतीय जैम संगठन के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए जमीनी प्लान तैयार किया जाएगा। रांची में हुए ग्लोबल कृषि व फूड समिट में संगठन ने साहिबगंज जिले में कार्य करने की इच्छा जतायी है।

संदीप ¨सह, उपायुक्त, साहिबगंज


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