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बेटियों को पहलवान बना रही 'दंगल गर्ल'

जागरण संवाददाता साहिबगंज आमिर खान की एक पिक्चर आई थी दंगल। उसमें रेफरी की भूमिका साहि

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 12:39 PM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 12:39 PM (IST)
बेटियों को पहलवान बना रही 'दंगल गर्ल'
बेटियों को पहलवान बना रही 'दंगल गर्ल'

जागरण संवाददाता, साहिबगंज : आमिर खान की एक पिक्चर आई थी दंगल। उसमें रेफरी की भूमिका साहिबगंज की पहलवान नमिता विश्वकर्मा ने भी निभाई थी। झारखंड के साहिबगंज जैसे छोटे शहर की इस बेटी ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में कई पदक जीतकर पहचान बनाई है। वर्ष 2016 में जब फिल्म दंगल में काम किया तो साहिबगंज में लोग उसे दंगल गर्ल कहकर पुकारने लगे। आज यह दंगल गर्ल बेटियों को पहलवानी के गुर सिखा रही है। ताकि वे झारखंड का नाम रोशन कर सकें।

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नमिता को खेल कोटे से डाक एवं तार विभाग में नौकरी मिली। अभी वह रामगढ़ में पोस्टेड है। उसका सपना है कि देश के लिए महिला पहलवान तैयार करे। साहिबगंज में अपने घर पर ही कुश्ती का अखाड़ा बना दिया है। यहा वह लड़कियों को कुश्ती के गुर सिखाती है। नमिता बताती है कि जल्द ही साहिबगंज में लड़कियों के लिए बड़ा प्रशिक्षण केंद्र भी खोलेंगे। पिता अरुण विश्वकर्मा भी बेटी को हमेशा कुश्ती के उत्थान की दिशा में काम करने को प्रेरित करते हैं।

नमिता ने वर्ष 2008 में जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में कास्य पदक पाया। 2012 में बिहार के पटना में आयोजित ऑल इंडिया रेसलिंग फेडरेशन कप प्रतियोगिता में कास्य पदक जीता। 2008 से लेकर वर्ष 2013 तक वे झारखंड महिला केसरी रहीं। अब वे राज्य कुश्ती संघ की संयुक्त सचिव व साहिबगंज जिला कुश्ती संघ की सचिव हैं। खेल के दम पर वर्ष 2011 में डाक-तार विभाग में नौकरी पाई। कोच बनने के लिए 2014 में पटियाला से एनआइएस का कोर्स पूरा किया। 2014 में देश की जूनियर कुश्ती टीम के साथ मंगोलिया व फिर 2015 में ब्राजील की यात्रा की।

नमिता से सीखे दाव-पेच ने दिलाया पदक :

नमिता से कुश्ती के गुर सीख रही साहिबगंज की बेबी कुमारी ने 2018 में राची में हुई राज्य स्तरीय विद्यालय कुश्ती प्रतियोगिता के 55 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2018 में ही 30 किलोग्राम भार वर्ग में साहिबगंज की अनीता कुमारी ने राज्य स्तरीय विद्यालय कुश्ती प्रतियोगिता में रजत पदक जीता।

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महिला खिलाडि़यों के लिए खेल का सफर आसान नहीं है। उनको खेल के मैदान में उतरने से पहले सामंती पुरुषसत्ता से संघर्ष करना पड़ता है। हम ऐसी प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देकर उचित प्लेटफार्म पर ले जा रहे हैं।

नमिता, संयुक्त सचिव, राज्य कुश्ती संघ


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