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परिवहन कार्यालय परिसर से हटा अतिक्रमण

उपायुक्त के निर्देश पर सोमवार को प्रशासन ने जिला परिवहन कार्यालय परिसर से अतिक्रमण हटाया। पिछले दिनों ने डीसी के निरीक्षण के बाद से ही कयास लगाया जा रहा था कि सालों से सरकारी जमीन को अतिक्रमण कर बनाए गए होटल, चायपान की दुकान एवं स्टेशनरी की दुकानों को हटाया जाएगा। जिला परिवहन कार्यालय के परिसर में बिना किसी बंदोवस्ती के आठ दुकानों का संचालन किया जा रहा था जबकि एक वकील साहब ने भी लोगों से मिलने जुलने के लिए झोपड़ी बना रखी थी। उपायुक्त ने निरीक्षण क्रम में अधिकारियों को दुकान हटाने को कहा। इसके बाद सक्रिय हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने दुकानों की सूची तैयार किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Feb 2019 06:07 PM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 06:07 PM (IST)
परिवहन कार्यालय परिसर से हटा अतिक्रमण
परिवहन कार्यालय परिसर से हटा अतिक्रमण

साहिबगंज : उपायुक्त के निर्देश पर सोमवार को प्रशासन ने जिला परिवहन कार्यालय परिसर से अतिक्रमण हटाया। कुछ दिनों ने डीसी के निरीक्षण के बाद से ही कयास लगाया जा रहा था कि सालों से सरकारी जमीन को अतिक्रमण कर बनाए गए होटल, चायपान की दुकान एवं स्टेशनरी की दुकानों को हटाया जाएगा। जिला परिवहन कार्यालय के परिसर में बिना किसी बंदोबस्ती के आठ दुकानें वहां चल रही थी। एक अधिवक्ता ने भी वहां अपने क्लाइंट से मिलने-जुलने के लिए सिरिस्ता बना रखा था। कुछ दिन पहले जब उपायुक्त निरीक्षण के क्रम में वहां पहुंचे तो अधिकारियों से सरकारी जमीन पर अतिक्रमित की गई इन दुकानों को हटाने का निर्देश दिया। इसके बाद सक्रिय हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने दुकानों की सूची तैयार किया। बोरियो के अंचल अधिकारी की देखरेख में कागजी प्रक्रिया पूरी की गई। इसके बाद सोमवार सुबह से अंचल अधिकारी की ओर से दुकानदारों को दुकान हटाने को कहा गया। सभी दुकानदारों ने खुद ही अपनी दुकानों को हटा लिया। इसके बाद हमेशा गुलजार रहने वाला परिसर वीरान बन गया।

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दुकानदारों ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर निराशा जाहिर की। कहा कि अब वे कहां जाएंगे नहीं पता। इधर रोजाना समाहरणालय एवं विकास भवन आने वाले दूर दराज गांव से आए लोगों को चायपान एवं नाश्ते के साथ खाने-पीने पर आफत आ गई है। क्योंकि प्रशासन ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है। एक मात्र दीदी कैफे से लोगों का भोजन चलना मुश्किल हो गया है।

बताते चलें कि विकास भवन के पीछे सालों पहले प्रशासन की ओर से कैंटीन बनाया गया था परंतु उसे विभागीय लापरवाही से चालू नहीं किया जा सका है। प्रशासन को लोगों की सुविधा का ध्यान रखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरुरत बताया जा रहा है।


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