मुख्यमंत्री के क्षेत्र में होने लगी पेयजल की किल्लत
बरहेट प्रखंड क्षेत्र के हिरणपुर पंचायत के महुआटांड में गर्मी शुरू होने से पहले ही पेयजल संकट गहराने लगा है।इस आदिवासी बहुल क्षेत्र महुआटांड में मात्र एक चापाकल के भरोसे यहां के लोगों को पेयजल नसीब हो पा रहा है। बरहेट प्रखंड मुख्यालय से लगभग 1
संवाद सहयोगी, बरहेट (साहिबगंज) : बरहेट प्रखंड क्षेत्र की हिरणपुर पंचायत के महुआटांड में गर्मी शुरू होने से पहले ही पेयजल संकट गहराने लगा है। इस आदिवासी बहुल क्षेत्र महुआटांड में मात्र एक चापाकल के भरोसे यहां के लोगों की प्यास बुझती है। बरहेट प्रखंड मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर दूर आदिवासी सुदूर गांवों में कुल तीन चापाकल है जिनमें से दो खराब हो चुका है। यहां के लोगों को पीने का पानी काफी मुश्किल से मिल पा रहा है। इसके साथ ही इस गांव में दो कुआं भी है जिनका पानी पीने योग्य नहीं है। स्थानीय ग्रामीण बाबूजी सोरेन ने बताया कि इस गांव में वर्षों पूर्व तीन चापाकल लगाया गया था पर गर्मी शुरू होने के साथ ही यहां पर पेयजल संकट बढ़ने लगा है। यहां के दो चापाकल अब तक खराब पड़ा है। विभाग द्वारा ठीक नहीं कराए जाने से लोग काफी परेशान हैं। गांव की विनीता हांसदा, सुलेमान मरांडी सहित अन्य महिलाओं ने बताया कि गांव में एकमात्र स्कूल चापाकल से पीने योग्य पानी लाते हैं। गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल संकट गहराने लगा है। इस गांव की आबादी लगभग 500 है। इसमें अधिकतर आदिवासी लोग ही रहते हैं। पेयजल संकट गर्मी शुरू होते ही हो जाती है। गांव में विगत पांच वर्षों से बिजली आपूर्ति भी ठप है। गांव के खेला सोरेन ने बताया कि विगत पांच वर्षों पूर्व बिजली इस गांव में आई थी। उसके बाद आज तक बिजली यहां के लोगों को नहीं मिल पा रही है। ग्रामीण टेरा मरांडी ने बताया कि लोग जहां रात में अंधेरे में काटते हैं वही मोबाइल चार्ज मुखिया फंड से लगाई गयी सोलर लाइट से करते हैं। विभाग को कई बार सूचना देने के बाद भी अब तक बिजली इस गांव को नसीब नहीं मिल पाई है। यह गांव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में आता है।