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संशो : गांव की कहानी : जलापूर्ति को टंकी बनी पर मोटर ले गए ठेकेदार

र्तालझारी प्रखंड मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर बड़ा दुर्गापुर पंचायत के कामोगोडा गांव जो तालझारी-शर्मापुर मुख्य सड़क पर निमगाछी से बरहेट जाने वाली सड़क से सटा हुआ है। यहां करीब 15 पहाड़िया परिवार के लोग दशकों से निवास करते हैं। ऐसे तो कामोगोडा गांव पहाड़ की ऊंचाई पर अवस्थित है लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए पक्की एवं पिचिग सड़क है। य

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 06:58 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 06:15 AM (IST)
संशो : गांव की कहानी : जलापूर्ति को टंकी बनी पर मोटर ले गए ठेकेदार
संशो : गांव की कहानी : जलापूर्ति को टंकी बनी पर मोटर ले गए ठेकेदार

कैचवर्ड : बोरियो विधानसभा क्षेत्र

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---पेयजल की व्यवस्था करनेवाले को वोट देंगे ग्रामीण कालीचरण मंडल, तालझारी (साहिबगंज)

प्रखंड मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर बड़ा दुर्गापुर पंचायत का कामोगोडा गांव। यह तालझारी-शर्मापुर मुख्य सड़क पर नीमगाछी से बरहेट जाने वाली सड़क से सटा हुआ है। यहां करीब 15 पहाड़िया पहाड़िया परिवार के लोग दशकों से निवास करते हैं। ऐसे तो कामोगोडा गांव पहाड़ पर स्थित है लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क है। यहां बाइक से आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां निवास कर रहे इन पहाड़िया समुदाय के लोगों की समस्या एवं चुनावी मूड परखने के लिए हम

शुक्रवार को कामोगोडा गांव पहुंचे। हमारे यहां पहुंचते ही पहाड़िया लोगों में एक उत्साह जगा और अपने-अपने दैनिक कार्यों में जा रहे ग्रामीण कुछ देर के लिए अपनी समस्या बताने के लिए एक स्थान पर जुट गये। ग्राम प्रधान सुरजा पहाड़िया ने गांव की समस्या गिनाते हुए बताया कि उनके गांव तक पहुंचने के लिए सरकार ने सड़क तो बना दी परंतु उन्हें सड़क से अधिक जरूरत पेयजल की है। आज भी गांव की महिलाओं को पानी लाने के लिए करीब दो किलोमीटर दूर स्थित झरना जाना पड़ता है। इन पहाड़िया महिलाओं को जंगल के बीचोंबीच से गुजरने वाली पगडंडी रास्ते में दो किलोमीटर चलकर सिर में पानी का घड़ा लाते हुए कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता है इसका आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं। ग्रामीण देवा पहाड़िया, गंगा पहाड़िया, बदरी माल पहाड़िन, रामू माल पहाड़िया, सुनीता पहाड़िन, भीमी पहाड़िन, डारमी पहाड़िन, सुमारी पहाड़िन, मुन्नेनी माल पहाड़िन, केसो वती माल पहाड़िन, रामी माल पहाड़िन बताया कि करीब एक साल पहले यहां सरकार की ओर से एक पानी टंकी बनायी गई थी जिसमें सोलर पंप द्वारा मोटर लगाकर पानी की व्यवस्था करनी थी। परंतु, पानी टंकी बनने के बाद भी उन्हें पीने के लिए एक बूंद पानी भी नहीं मिल सका है। ठेकेदार एक दिन आया और मोटर में खराबी होने की बात कहकर उसे ठीक कराने के बहाने ले गया। इसके बाद वह पुन: वापस गांव नहीं आया। सोलर भी कहीं चोरी न हो जाय इस भय से उसे खोलकर एक ग्रामीण के घर पर सुरक्षित रख दिया गया है। ग्रामीणों ने आशंका व्यक्त की है कि ठेकेदार ने पानी टंकी निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ कागजों में पूर्ण दिखा दिया होगा और राशि की निकासी कर ली होगी। अन्यथा उक्त ठेकेदार वापस आकर अधूरी पानी टंकी को पूरा कर लोगों को पेयजल अवश्य मुहैया कराता। इस दौरान हमनें ग्रामीणों का चुनावी मूड भांपने का प्रयास किया तो लोगों ने एक झटके में कह दिया कि उनके गांव में पीने का पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्हें सड़क और बिजली से अधिक पेयजल की जरूरत है। जल है तो जीवन है। इसे नेताओं को भी समझना होगा। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि चुनाव के समय नेता आते हैं आश्वासन देकर चले जाते हैं कि इस बार पानी की व्यवस्था की जाएगी परंतु पांच साल बीत जाने के बाद भी गांव मे पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम प्रधान सूरजा पहाड़िया ने बताया कि एक सरकारी विद्यालय था जिसमें हमारे बच्चे पढ़ते थे उसे भी बंद कर दिया गया है।


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