कालाजार मरीजों की संख्या में आयी गिरावट
ग्रामीण आबादी को अपनी चपेट में लेने वाली बीमारी कालाजार के मामले साहिबगंज में उल्लेखनीय रूप से कम हुए हैं। समन्वित प्रयास की बदौलत पिछले साल की तुलना में इस बार आधे से कम केस आए हैं।
जागरण संवाददाता, साहिबगंज: साहिबगंज: ग्रामीण आबादी को अपनी चपेट में लेने वाली बीमारी कालाजार के मामले साहिबगंज में उल्लेखनीय रूप से कम हुए हैं। समन्वित प्रयास की बदौलत पिछले साल की तुलना में इस बार आधे से कम केस आए हैं। 2020 में कुल 48 कालाजार केस मिले थे, जबकि इस बार सितंबर का महीना बीतने को है और 22 केस मिले हैं। अनुपातिक रूप से यह मामला पिछले साल से काफी कम है। साहिबगंज में वेक्टर बोर्न डिजीज के कंसल्टेंट के रूप में काम करने वाले डा. सत्ती बाबू ने बताया कि हमारे जिले में कालाजार के केस अभी भी मिल रहे हैं, लेकिन आप साल 2018, 2019 व 2020 से उसकी तुलना करेंगे तो उसमें उल्लेखनीय कमी आपको देखने को मिलेगी, यह समन्वित प्रयास व सघन अभियान के कारण ही संभव हो सका। डॉ सत्ती ने बताया कि कुछ चिह्नित गांवों में आइआरएस , इंडोर रेसिडुअल स्प्रे कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे कालाजार के साथ मलेरिया व फाइलेरिया जैसी बीमारी से निबटने में मिलती है। उन्होंने बताया कि साहिबगंज जिले के तीन प्रखंडों बरहेट, बोरिया व मंडरो में प्रमुख रूप से कालाजार के केस मिलते हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्य में जिला प्रशासन का पूरा सहयोग रहता है और जमीन पर उसे उतारने में सहिया, सेविका, जल सहिया सहित अन्य ग्रामीण कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि हम इन जमीनी कार्यकर्ताओं को अपने अभियान में शामिल करते हैं जो घर-घर जांच कर संदिग्ध मरीज मिलने पर नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर रिपोर्ट करती है। उन्होंने बताया कि रूरल हेल्थ प्राइक्टिसनर जिसे झोलाछाप डॉक्टर कहते हैं, उनकी भी भूमिका हमारे काम में होती है। उनसे इलाज करा रहे व्यक्ति का अगर बुखार एक-दो दिन बाद नहीं उतरता है तो वे संबंधित सुपरवाइजर को उसकी रिपोर्ट करते हैं। वे कहते हैं कि गांव में बीमारियों को लेकर पहले अधिक जागरूकता आयी है। वहीं, पीसीआइ के राजवर्द्धन ने कहा कि कालाजार के मामले जिले में कम हुए हैं और हमें उसके संपूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करना है। वे कहते हैं कि वीएल जिसमें बुखार होता है उसके मामले मिलते हैं और पोस्ट कालाजार जिसे पीकेडीएल कहते हैं उसके भी मामले मिलते हैं। दोनों तरह के मरीजों का इलाज कराया जाता है। राजवर्द्धन के अनुसार, तकनीक बदल जाने के कारण अब कालाजार पीड़ित का स्वास्थ्य केंद्र पर ढाई घंटे में इलाज हो जाता है, जिसमें स्लाइन के माध्यम से मरीज को इंजेक्शन दिया जाता है। साहिबगंज जिले के तालझारी प्रखंड की करणपुरा पंचायत के झिकरा हरिनकोल गांव में इस साल एक भी कालाजार का मरीज नहीं मिला है। गांव की सहिया रूबी देवी ने बताया कि पिछले साल हमारे गांव में कालाजार के दो केस मिले थे, जिनका अस्पताल में इलाज कराया गया और दोनों अब स्वस्थ हो चुके हैं। इस साल नौवां महीना बीत रहा है, लेकिन हमारे गांव में एक भी कालाजार का केस नहीं मिला है।