पर्यटन की राह में रोड़ा बनी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क
गंगा तट पर बरहड़वा प्रखंड के वन प्रांतरों में मां शुक्रवासिनी की पूजा अर्चना दो सौ साल से हो रही है। मां दुग्धपान से प्रसन्न होकर लोगों की मनोकामना पूरी करती हैं। शुक्रवासिनी मंदिर में पूजा अर्चना के लिए अविभाजित बिहार के अलावा बंगाल से भी श्रद्धालु सालों भर आते रहते हैं। पूरे वैशाख माह के अलावा सालों भर यहां उत्सवी माहौल रहता है।
जागरण संवाददाता, साहिबगंज : गंगा तट पर बरहड़वा प्रखंड के वन क्षेत्र में मां शुक्रवासिनी की पूजा-अर्चना 200 साल से हो रही है। मां दुग्धपान से प्रसन्न होकर लोगों की मनोकामना पूरी करती हैं। शुक्रवासिनी मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए बिहार के अलावा बंगाल से भी श्रद्धालु सालों भर आते हैं। वैशाख माह के अलावा सालों भर यहां उत्सवी माहौल रहता है। साहिबगंज जिले के ऐतिहासिक शुक्रवासिनी मंदिर को पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने की योजना जिला प्रशासन की ओर से बनाई गई है। विकास के लिए 65 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं, परंतु एनएच-80 से शुक्रवासिनी मंदिर तक जाने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क सालों से जर्जर अवस्था में है। इस कारण पर्यटक वहां जाना पसंद नहीं करते हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से सड़क का निर्माण सालों पहले किया गया है। कई गांवों को जोड़ने वाली सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं है।
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क्या है शुक्रवासिनी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
शुक्रवासिनी मंदिर के ऐतिहासिक महत्व के बारे में गांव के निमाई मंडल का कहना है कि शुक्रवासिनी माता वन प्रांतर के बीच नीम के पेड़ के नीचे विराजमान हैं। कालांतर से पेड़ को काटकर बरहड़वा के किसी भक्त नं मंदिर का निर्माण कर दिया। तभी से मंदिर के अंदर पेड़ के तना की पूजा अर्चना की जा रही है। माता को जितना भी दूध चढ़ाया जाता है वह अंदर चला जाता है। दूध कहां जाता है इसका पता नहीं चल पाता। वैशाख माह में मां को दूध चढ़ाने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं जो प्रसन्न मन से दूध चढ़ाते हैं, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। शुक्रवासिनी मंदिर बंगाल सीमा पर झील के किनारे स्थित है झील का जुड़ाव पास के गंगा नदी से है।
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क्या है प्रधानमंत्री ग्राम सड़क की हालत
शुक्रवासिनी मंदिर के महत्व को देखते हुए सालों पहले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क का निर्माण एनएच 80 से मंदिर व मिर्जापुर गांव तक किया गया था। जिसकी हालत अत्यंत जर्जर है। सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल है। जिस सड़क का निर्माण किया गया था उसका बोर्ड भी अब नहीं है। करीब एक करोड़ की लागत से सड़क बनी थी। इसके अलावा पास ही मिर्जापुर से पिपरा तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क का निर्माण वर्ष 2013 में 1.23 करोड़ की लागत से किया गया है। यह सड़क भी जर्जर हालत में है। सड़क की प्रशासनिक स्वीकृति 1.31 करोड़ थी। मेसर्स सागर इंटरप्राइजेज की ओर से सड़क का निर्माण किया गया है। जो जानलेवा स्थिति में है। हद तो यह कि बरहड़वा प्रखंड सांसद विजय हांसदा व कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम का गृह प्रखंड है। गांव वाले अपने नेताओें को कोसते रहते हैं।
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विकास की बाट जोह रहा मंदिर
शुक्रवासिनी को जितने सालों से पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने की योजना बन रही है। साथ ही मंदिर के पास अपनी जितनी जमीन है उस लिहाज से प्रशासनिक इच्छाशक्ति दिख नहीं रही है। गांव के लोग लगातार मंदिर की जमीन का अतिक्रमण करते जा रहे हैं। मंदिर की जमीन पर लोकल अंचल से मिलकर दर्जनों की संख्या में प्रधानमंत्री आवास का निर्माण गैर कानूनी तरीके से कर दिया गया है। मंदिर के समीप आकर्षण का अभाव है। पर्यटकों के ठहरने का कोई इंतजाम नहीं है। जो भी प्लान बनता है अधिकारी जिला मुख्यालय में बैठकर ही बनाते हैं।
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कोट
साहिबगंज जिले में पर्यटन की संभावना को देखते हुए प्लान बनाया गया है। जिला प्रशासन की ओर से शुक्रवासिनी मंदिर के सुंदरीकरण के लिए भी प्रयास चल रहा है। मंदिर के जमीन की घेराबंदी की गई है। कुछ शौचालय बनाया गया है। इसके अलावा वन वन विभाग की ओर से पौधरोपण भी किया गया है। अगर सड़क जर्जर है तो इसका आकलन कर इसे दुरुस्त कराने का प्रयास किया जाएगा।
संदीप ¨सह, उपायुक्त, साहिबगंज।