हलका कर्मचारी की मनमानी से विस्थापित को नहीं मिला मुआवजा
सदर अंचल के समदा नाला के बंदरगाह विस्थापित अस्वनी मंडल ने उपायुक्त को पत्र लिखकर यह शिकायत किया है कि राजस्व कर्मचारी की मनमानी से नहीं विस्थापित होने के बाद उनको मुआवजा नहीं मिल सका है। हल्का कर्मचारी के गलत रिपोर्ट में गड़बड़ी की गई है। अगर इसकी विस्तृत जांच कराई जाए तो बड़ा मामला सामने आ सकता है।
जागरण संवाददाता, साहिबगंज : सदर अंचल के समदा नाला के बंदरगाह विस्थापित अश्विनी मंडल ने उपायुक्त को पत्र लिखकर यह शिकायत की है कि राजस्व कर्मचारी की मनमानी से नहीं विस्थापित होने के बाद उनको मुआवजा नहीं मिल सका है। हलका कर्मचारी की रिपोर्ट में गड़बड़ी की गई है। अगर इसकी जांच कराई जाए तो अनियमितता सामने आ सकती है।
उपायुक्त को लिखे पत्र में अश्विनी मंडल ने यह बताया है कि उसके पिता बबूलबन्ना गांव के रहने वाले थे, परंतु 1976 में गंगा ब्रिज निर्माण में गंगा में जमीन विलीन होने के बाद जिला प्रशासन की ओर से प्रत्येक परिवार को समदा नाला में बसने के लिए 4 डिसमिल जमीन दी गई। उसी जमीन पर फिलहाल वह रहते हैं। 4 डिसमिल जमीन उनके पिता बंछा मंडल को भी मिली थी। रोजगार के अभाव में वह दिल्ली में रहने लगे, जब घर आए तो पता चला कि सरकार पूरे गांव को हटा रही है। इसके बदले पैसा मिल रहा है। जब पिताजी बीमार थे तो बड़ी बहन ससुराल से समदा आई थी। बड़ी बहन ने छोटी बहन को भी बुला लिया। दोनों मिलकर हलका कर्मचारी राजेंद्र साह के साथ उनके घर पर आए और कागज पर निशान लगवा लिया। हलका कर्मचारी ने कहा कि जबतक हस्ताक्षर नहीं करोगे पैसा नहीं मिलेगा। हलका कर्मचारी ने जमीन का पैसा दो भाग में बांटकर उसे तथा उसकी बहनों को भी दे दिया। जबकि घर का पूरा पैसा बहन को दे दिया। जब हलका कर्मचारी से इसका विरोध किया तो बोला की घर में हिस्सा नहीं मिलता है। बेटा को घर के पैसे से बेदखल कर दिया गया। जब बहनों से पूछने के लिए गया तो बड़ी बहन का बेटा एवं छोटी बहन का दामाद दोनों ने समाज के लोगों को समर्थन में खड़ा कर लिया व पिटाई कर दी। उसके बेटे को मारकर विकलांग कर दिया गया। कर्मचारी के पास जब रसीद कटवाने गया तो 6 हजार रुपये की मांग करने लगा। जब घर का पैसा नहीं मिलने की शिकायत लेकर भूअर्जन पदाधिकारी से मिला तो उपायुक्त के पास भेज दिया गया। उपायुक्त को पत्र देने पर अंचल अधिकारी से जांच प्रतिवेदन मांगा गया।