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मोटे अनाज का मोह छोड़ा तो कुपोषण बढ़ा

साहिबगंज: देहाती इलाके में जो किसान वर्षो पहले मोटे अनाज उपजाकर आराम से अपने परिवार का प

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 05:35 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 05:35 PM (IST)
मोटे अनाज का मोह छोड़ा तो कुपोषण बढ़ा
मोटे अनाज का मोह छोड़ा तो कुपोषण बढ़ा

साहिबगंज: देहाती इलाके में जो किसान वर्षो पहले मोटे अनाज उपजाकर आराम से अपने परिवार का पेट पाल लेते थे उन्हें शायद उस समय पता नहीं होगा कि जो वो अनाज खा रहे हैं, वो सबसे सेहतमंद है।

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धीरे-धीरे किसानों ने मांग के अभाव में मोटे अनाज उपजाना कम कर दिया। अब हालत यह है कि मोटे अनाज से दूर होने के साथ ही बच्चों में कुपोषण भी उसी रफ्तार से बढ़ रहा है। डॉक्टर भी यह सिद्ध कर चुके हैं कि स्वास्थ्य के लिए मोटे अनाज बेहद जरूरी हैं। यह कई बीमारियों से लोगों को बचाता है। मोटे अनाज से दूरी बनाने का ही परिणाम है कि अब शहरों से लेकर गांवों तक मधुमेह मरीजों कर संख्या बढ़ रही है। महिलाएं मोटापा की ज्यादा शिकार हो रही हैं।

ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट के मुताबिक कुपोषण व इससे जुड़ी समस्याएं ¨चताजनक होती जा रही हैं। पोषाहार उपलब्ध कराने में योजनाएं भी कारगर साबित नहीं हो रही। कुपोषण का सबसे ज्यादा कुप्रभाव लोगों के अलावा बच्चों के मानसिक विकास पर पड़ रहा है। राशन दुकान से नियमित राशन की मांग करने के लिए पिछले दिनों पतना प्रखंड के आदिवासियों ने समाहरणालय पहुंचकर डीसी को मांग पत्र सौंपा है। इसमें चार माह का राशन नहीं मिलने की शिकायत की है। ग्रामीण इस बात को लेकर शिकायत करते हैं कि नियमित राशन नहीं मिलने पर भूखे रहना पड़ता है।

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केवल 36 हेक्टेयर में उपज रहा जिले में मोटा अनाज

साहिबगंज जिले में सालों पहले किसान प्राथमिकता के तौर पर मोटे अनाज उपजाते थे परंतु अब किसान इसमें रुचि नहीं ले रहे। किसानों को मोटे अनाज से होनेवाले फायदे की भी जानकारी नहीं है। इस साल जिले में कुल 1390 हेक्टेयर में मोटे अनाज के उत्पादन का लक्ष्य कृषि विभाग ने रखा था परंतु केवल 36 हेक्टेयर में इसका आच्छादन किया गया है। ज्वार की खेती 150 हेक्टेयर में करनी थी परंतु 30 हेक्टेयर में ही खेती हो सकी है। बाजरे की खेती 40 हेक्टेयर में करनी थी परंतु 6 हेक्टेयर में ही की गई है। मडुआ की खेती तो की ही नहीं गई है। कुल 1390 में से 36 हेक्टेयर में ही मोटे अनाज उपजाए जा रहे हैं, जबकि जिले में 1.03 लाख हेक्टेयर खेती लायक जमीन है।

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सरकार की तरफ से संचालित योजनाएं

कुपोषण दूर करने के लिए जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से जिले में कई योजनाएं संचालित हैं। जिले में मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना के माध्यम से 2017-18 में 224 बच्चियों को लाभान्वित किया गया है, जबकि 2018-19 में 2100 बच्चियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना से 2017-18 में प्राप्त लक्ष्य 400 के विरुद्ध 323 बच्चियों को लाभान्वित किया गया है। 2018-19 में 745 बच्चियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में जिले में प्राप्त आवंटन से 590 दिव्यांग छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति देकर लाभान्वित किया गया है।

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राशन देने की योजनाएं भी नहीं हो रहीं प्रभावी

जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए पीडीएस से राशन देने की योजनाएं प्रभावी नहीं हो पा रही हैं। जितने भी स्वयं सहायता समूह के डीलर हैं, वे मनमानी करते हैं। पहाड़ी क्षेत्र के राशन दुकान बिचौलियों के रहमोकरम पर चलते हैं। आदिवासी तालझारी प्रखंड के करणपुरातो, पतना प्रखंड के छोटा रांगा, मंडरो प्रखंड के अलावा अन्य प्रखंड के ग्रामीणों का कहना है कि राशन का वितरण समय पर नहीं होता है। कई माह पर राशन मिलता भी है तो कम मात्रा में मिलता है। जिले के बरहेट प्रखंड के पूर्व एमओ रिटायर कर गए हैं परंतु उनकी जांच लंबित है।

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कोट

जिले में कृषि बहुल इलाके में मोटे अनाज का उत्पादन लगातार घट रहा है। किसानों को ज्यादा से ज्यादा मोटे अनाज के उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाएगा। जिले के कृषि बहुल साहिबगंज, राजमहल, बरहड़वा व उधवा प्रखंड में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ सकता है। पहाड़ी इलाके बरहेट, मंडरो, पतना, बोरियो व तालझारी में बाजरे की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जाएगा।

अजय कुमार पुरी

उप निदेशक, आत्मा

साहिबगंज


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