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घर को रोशन करने गई बिटिया का जीवन ही अंधेरे में

अंतर्राज्जीय मानव तस्कर गिरोह के जाल में फसी 7 नाबालिग लड़कियों के लौटने की आस में बुजुर्ग माता-पिता की आंखें पथरा गई है ।मामला साहेबगंज जिले के रांगा थाना क्षेत्र के सुदूर पहाड़ी क्षेत्र पन्दनभिठा पहाड़ की है। लगभग 200 फीट की ऊंचाई पर स्थित पन्दनभिठा गांव विशुद्ध रूप से पहाड़िया जनजाति गांव है। पहाड़िया जनजाति के

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 09:00 AM (IST)
घर को रोशन करने गई बिटिया का जीवन ही अंधेरे में
घर को रोशन करने गई बिटिया का जीवन ही अंधेरे में

बरहड़वा(साहिबगंज): अंतरराज्यीय मानव तस्कर गिरोह के जाल में 7 नाबालिग लड़कियां फंस गई हैं। उनके लौटने की आस में बुजुर्ग माता-पिता की आंखें पथरा गई हैं। मामला साहिबगंज जिले के रांगा थाना क्षेत्र के सुदूर पहाड़ी क्षेत्र पंदनभिठा पहाड़ की है। 

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लगभग 200 फीट की ऊंचाई पर स्थित पंदनभिठा गांव विशुद्ध रूप से पहाड़िया जनजाति गांव है। पहाड़िया जनजाति के लोग किसी तरह अपना जीवन-यापन करने को विवश हैं।

3 साल पूर्व दो  बालिग लड़कियां और एक साल पूर्व 5 नाबालिग लड़कियों को  मानव तस्कर गिरोह के स्थानीय एजेंट दिल्ली में नौकरी दिलाने की बात कहकर  ले तो गए, परंतु आजतक लड़कियां लौटी नहीं हैं।

गांव के प्रधान सूरजा पहाड़िया, अभिभावक छोटामासी पहाडिया, तबरा पहाडिया, छोटा कावरे पहाड़िया, चमरा पहाड़िया, मंगला पहाड़िया सहित अन्य के अनुसार उक्त गांव की ही एक महिला एजेंट सुरजी पहाड़ी एवं रांगाथाना क्षेत्र के बिचका गांव निवासी हाजरा पहाड़िया और बरहेट  थाना क्षेत्र के तलबड़िया गांव निवासी साबिर शेख दिल्ली में अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर नाबालिग लड़की लेकर जाते हैं। ऐसे लोग अभिभावक को महीने में 10 हजार रुपये देने की बात करते हैं, परंतु यहां से लड़की को ले जाने के बाद ना तो उन्हें पैसे मिलते हैं और ना ही लड़की से अभिभावक को संपर्क करवाया जाता है। गांव से जाने वाली नाबालिक लड़कियां वापस आएंगी या नहीं इसकी भी कोई गारंटी नहीं है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मेरी पहाड़िन(14) मेसी पहाड़िन(15) सहित अन्य दो लड़कियां कुछ माह पूर्व  दिल्ली से दलाल के चंगुल से भागकर  किसी प्रकार अपने घर वापस आई। दलाल द्वारा उन लोगों को करीब 2 साल तक दिल्ली में रखा गया। उतने दिनों तक उन्हें एक भी पैसा नहीं दिया गया। अभिभावक द्वारा पैसा मांगने अथवा लड़की को वापस लाने के संदर्भ में गिरोह के लोगों से बोले जाने पर तरह-तरह के बहाने बनाए जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे लोग अपने आप को ठगा महसूस करते हैं।

अंतरराज्यीय मानव तस्कर गिरोह के स्थानीय एजेंट गांव पर अपना वर्चस्व बनाकर रखते हैं, जिसके डर से गांव के लोग ना तो पुलिस प्रशासन को इसकी शिकायत करते हैं और ना ही गांव के प्रधान को।

अभिभावकों ने बताया कि 3 साल पूर्व सोनी पहाड़ी एवं चांदी पहाड़ी को तस्कर गिरोह के सदस्यों द्वारा दिल्ली ले जाया गया। करीब 2 साल से इन लड़कियों से अभिभावक द्वारा उनलोगों का किसी प्रकार का संपर्क नहीं हो पा रहा है। एजेंट से पूछे जाने पर वे बहाना करते हैं।

एक साल पूर्व परवी  पहाड़िन,  धरती पहाड़िन, वीमी  पहाड़िन,  मुगली पहाड़िन और नारा पहाड़िन को दिल्ली नौकरी के नाम पर ले जाया गया है जो  वर्तमान में मानव तस्कर गिरोह के चंगुल में फंसी हैं। बहरहाल, पंदनभिठा गांव के मानव तस्कर गिरोह के शिकार हुए नाबालिक लड़कियों के अभिभावकों इन दिनों किसी मसीहे का इंतजार है, जो उनकी बेटियों को तस्कर के चंगुल से छुड़ाकर ला सके। 

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तस्कर की कहानी, मेरी की जुबानी

रांगा थाना क्षेत्र में मानव तस्कर फिलहाल सक्रिय हैं। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई जैसे बड़े शहरों पर अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर तस्कर  के लोग क्षेत्र में घूम-घूमकर पहाड़िया आदिम जनजाति के लोगों को अपने चंगुल में फंसाते हैं। उनके सीधे-साधे होने का फायदा उठाते हुए उनकी बेटियों को तस्करी कर दिल्ली जैसे महानगर ले जाकर अपने गिरोह के सरदार के जिम्मे पर दे देते हैं। तस्करी कर ले जानेवाले नाबालिग लड़कियों के साथ क्या होता है यह किसी को भी पता नहीं है। थाना क्षेत्र के पन्दनभिठा गांव से तस्करी की शिकार हुई मेरी पहाड़ी(14) दिल्ली से भागकर अपने गांव वापस आई है। मेरी अच्छी नौकरी और रुपया के प्रलोभन में दिल्ली तो चली गई, परंतु दिल्ली में तस्कर गिरोह के लोगों द्वारा किए गए शोषण से तंग आकर वह भाग निकली। मेरी बताती है कि स्थानीय एजेंट यहां से दस हजार रुपये प्रतिमाह देने के नाम पर दिल्ली में अपने सरदार के जिम्मे दे दिया।  दिल्ली में एक घर पर उसे बंद करके रखा जाता था। उसे  किसी बड़े साहब के यहां दाई का काम करने के लिए भेज दिया जाता था।  दिल्ली में तस्कर गिरोह के लोग  एक प्रकार से कैदी की तरह ही रखते थे। मेरी के साथ हुए शारीरिक शोषण अथवा अन्य किसी प्रकार के शोषण के बारे में पूछे जाने पर वह चुप्पी साध लेती है। उसकी आंखों से आंसू बहने लगता है। ऐसी स्थिति में उसकी पीड़ा को सिर्फ वही समझ सकती है।

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क्या कहते एसपी

साहिबगंज के पुलिस अधीक्षक हार्दिक पी जनार्दनन ने कहा कि इस मामले में किसी प्रकार की शिकायत पुलिस को नहीं मिली है। लिखित शिकायत मिलने  पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


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