Move to Jagran APP

लड़ी थी आजादी की लड़ाई, अब हैं बदहाल

By Edited By: Published: Mon, 23 Jan 2012 07:07 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2012 07:07 PM (IST)
लड़ी थी आजादी की लड़ाई, अब हैं बदहाल

धनंजय मिश्र, साहिबगंज : अंग्रेजों के शोषण व अत्याचार के खिलाफ जिले के पहाड़िया स्वतंत्रता सेनानियों ने गुरिल्ला युद्ध कर उन्हें परेशान कर दिया था। देश की आजादी की लड़ाई में पहाड़ों पर रहने वाले आदिम जन जाति के रण बांकुरे भी पीछे नहीं थे। इतिहास कार बताते हैं कि चाहे नमक आंदोलन हो या सत्याग्रह हो या असहयोग आंदोलन हो सभी में इनकी भूमिका रही है। पर आजादी के छह दशक बाद के काल में इनके आबादी घटी है और इनके लिए विकास की राह तैयार नहीं किया जा सका है। इतिहासकार डा वी एन दिनेश ने पहाड़िया जन जाति के संक्षिप्त इतिहास में इनके योगदान का वर्णन किया है।

prime article banner

--------------

आजादी की लड़ाई लड़ने वाले आदिम जन जाति के स्वतंत्रता सेनानी

------------

संताल परगना के दर्जनों पहाड़िया अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे जिनमें

1 सरदार रमना आहड़ी, धसनियां पहाड़, कुडहित, दुमका

2 करिया पुजहर, आमगाछी पहाड़, अमड़ापाड़ा, पाकुड़

3 सरदार चेंगरू पहाड़िया, कारगाछी पहाड़, तालझारी

4 पाचगे डोम्बा पहाड़िया, भगभंगा पहाड़, तालझारी, साहिबगंज

5 जबरा पहाड़िया, सिंगारसी पहाड़, पाकुड़

6 गुरू धर्मा पहाड़िया, गरसिंगला पहाड़, गोड्डा

7 दबूआ देहरी, गोपी कांदर दुमका

8 गंगा जोहरा मांझी, चेंगड़ा,गधवा पहाड़, महाराजपुर

9 कचवा देहरी, बड़दाहा पहाड़, अमड़ापाड़ा

10 गौरसिंग पहाड़िया, कालीपाथर, गांदो स्टेट सहित अन्य शामिल हैं।

----------------

आजादी के सेनानियों का सपना नहीं हो सका पूरा

-------------

अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले आदिम जन जातियों के आजादी का सपना अब भी पूरा नहीं हो सका है। पहाड़िया जन जाति पर शोध में इनकी आबादी अपेक्षाकृत कम हुई है। जिले के पहाड़िया गांव आजादी के बाद से लेकर आज तक विकास की रोशनी का इंतजार कर रहे हैं। पहाड़िया समाज के महेश माल्तो, गंगा पहाड़िया, सुरजा पहाड़िया बताते हैं कि आज भी पहाडि़या जन जाति को मलाल है तो यह कि अंग्रेजों के जाने के बाद आयी सरकारें भी उनके सर्वार्गीण विकास के लिए कुछ खास नहीं कर रही है। उनके जमीन पर दूसरे लोग खदान खोल कर एसोआराम की जिंदगी बसर कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि प्रयास नहीं हुआ है। जिले में आए पूर्व के कई उपायुक्तों ने इनके जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रयास किया है। कई बार यह भी घोषणा हो चुकी है कि पहाड़ का लीज सिर्फ पहाड़िया को दिया जाएगा क्योंकि इनके जमीन का पूरा पूरा लाभ इन्हें मिल सके पर प्रशासनिक इच्छा शक्ति के अभाव व जन जागरूकता के अभाव के कारण अंग्रेजों से लड़ने वाले पहाड़िया बदहाल होकर जी रहे हैं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.