राजमहल कोर्ट में भरण-पोषण के 250 मामले लंबित
कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डीएन तिवारी (शिविर न्यायालय राजमहल) द्वारा 19 जून को अनीता देवी बनाम गौतम कलवार के मामले में भरण पोषण भत्ता नहीं देने पर गौतम कलवार को 11 वर्ष 9 माह की सजा सुनायी। इससे लंबी अवधि से भरण पोषण का मुकदमा लड़ रही महिलाओं व उनके बच्चों में न्याय की उम्मीद जगी है। सिर्फ कुटुंब न्यायालय राजमहल में करीब 250 ऐसे मामले लंबित हैं जिनमें कोर्ट के आदेश के बाद भी पति ने पत्नी एवं बच्चों को भरण पोषण दिया नहीं नहीं।
राजमहल (साहिबगंज) : कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डीएन तिवारी (शिविर न्यायालय राजमहल) द्वारा 19 जून को अनीता देवी बनाम गौतम कलवार के मामले में भरण पोषण भत्ता नहीं देने पर गौतम कलवार को 11 वर्ष 9 माह की सजा सुनाई । इससे लंबी अवधि से भरण पोषण का मुकदमा लड़ रही महिलाओं व उनके बच्चों में न्याय की उम्मीद जगी है। सिर्फ कुटुंब न्यायालय राजमहल में करीब 250 ऐसे मामले लंबित हैं जिनमें कोर्ट के आदेश के बाद भी पति ने पत्नी एवं बच्चों को भरण पोषण दिया नहीं नहीं। 100 से अधिक मामलों में पत्नी ने न्यायालय आना छोड़ दिया है। 10 मामलों में पति द्वारा प्रतिमाह भरण पोषण भत्ता दिया जाता है। इनमें अधिकतर पति किसी न किसी सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। न्यायालय द्वारा गौतम कलवार को 11 वर्ष 9 माह की सजा सुनाने के बाद अधिवक्ता भी इस मामले में आदेश की कापी देखना चाहते थे। न्यायालय के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि गुजरात उच्च न्यायालय के फुल बेंच ने वर्ष 2009 में यह निर्णय दिया था कि विपक्षी द्वारा यदि भरण पोषण भत्ता का भुगतान नहीं दिया जाता है तो प्रत्येक माह, जिसमें भरण पोषण का भुगतान नहीं दिया गया है अधिकतम एक माह की सजा हो सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी 1989 में श्रीमती कुलदीप कौर बनाम सुरेंद्र सिंह वाद में भुगतान नहीं करने वाले माह के लिए अधिकतम एक माह की सजा सुनाई। कर्नाटक प्रदेश के मदुरई न्यायालय के प्रधान न्यायधीश ने 29 जून 2017 को भरण पोषण के एक मामले में 15 दिन की सजा सुनाई थी। अनीता देवी बनाम गौतम कलवार के मामले में कुटुंब न्यायालय द्वारा 12 दिसंबर 2006 को भरण पोषण का आदेश पारित करने के बाद गौतम कलवार ने झारखंड उच्च न्यायालय में क्रिमिनल रिविजन दाखिल किया था। इसमें उच्च न्यायालय ने कुटुंब न्यायालय के आदेश को सही ठहराते हुए गौतम कलवार को 29 सितंबर 2015 को आदेश दिया कि वे तीन माह के अंदर बकाया भरण पोषण भत्ता का भुगतान कर दें। परंतु गौतम कलवार ने भुगतान नहीं किया। इसे उच्च न्यायालय की अवमानना मानते हुए कुटुंब न्यायालय ने 150 माह के बकाया के लिए 150 माह की सजा सुनाई। इनमें से पूर्व में काटी गए नौ माह की सजा को घटाकर 141 माह यानी 11 वर्ष 9 माह की सजा सुनाई।
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