साहिबगंज, जागरण टीम: रामनवमी के दौरान जगह-जगह सौहार्द और गंगा-जमुनी संस्कृति के नजारे देखने को मिलते हैं। साहिबगंज के बरहड़वा निवासी सलीम दर्जी और उनके परिवार के सदस्य भी प्रेम व सद्भाव का ऐसा ही उदाहरण 60 वर्षों से प्रस्तुत करते आ रहे हैं।
यहां चैत्र नवरात्र पर बिंदुधाम मंदिर में होनेवाले रामनवमी उत्सव के लिए झंडा बनाने का काम उनके परिवार के सदस्य ही करते हैं। यहां की पूजा के लिए यह भी एक परंपरा जैसा ही बन गया है।

इस वर्ष भी 22 मार्च से शुरू होनेवाले रामनवमी महोत्सव के लिए झंडा बनाने का काम सलीम के परिवार ने शुरू कर दिया है। 1962 में पहली बार महात्मा पहाड़ी बाबा उर्फ हरिहरानंद गिरी ने बिंदुधाम मंदिर में शतचंडी महायज्ञ का शुभारंभ किया था।
उसी समय से इस मुस्लिम परिवार ने मंदिर के लिए झंडा बनाने का काम शुरू किया। मो. सलीम ने बताया कि पहले उनके दादा नूर मोहम्मद और इसके बाद उनके पिता मो. जोहूर मंदिर में रामनवमी महोत्सव के लिए झंडे बनाते थे। अब वह और उनके परिवार के अन्य सदस्य महावीरी झंडे बना रहे हैं।
दादा नूर मोहम्मद ने मां के दरबार में सजने वाला झंडा बनाया था। उस समय पहाड़ी बाबा ने दरबार की जो आकृति बताई थी, उसको उन्होंने एक डायरी में नोट कर लिया था। उसी डायरी के अधार पर आज भी झंडे बनाए जाते हैं। मां के दरबार के साथ मंदिर के पूरे परिसर में 100 झंडे लगते हैं।