योग ने बदला जीवन, हाई कोर्ट का प्रैक्टिस छोड़ बनी योग शिक्षिका
हाई कोर्ट की प्रैक्टिस छोड़ शशि प्रिया आज योग शिक्षिका बन चुकी हैं।
जागरण संवाददाता, रांची : भारतीय संस्कृति में योग का अत्यधिक महत्व है। हमारे ऋषि मुनियों के हजारों वर्षो का ज्ञान योग में समाहित है। आसन, प्रणायाम के प्रत्येक क्रिया में स्वास्थ्य का खजाना छिपा है। योग कर कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से निरोग रह सकता है एवं सफल, स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जी सकता है। नियमित रूप से योग करने से गंभीर बीमारी से भी मुक्ति पायी जा सकती है।
गांधीनगर की शशि प्रिया हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करती थी। साल 2016 में स्कूटी से कहीं जा रही थी। इसी बीच सड़क दुर्घटना में तलबा से ऊपर पैर पूरी तरह कट कर अलग हो गया। करीब दो माह तक इलाज चला। पांव तो जुड़ गया, लेकिन उसमें शक्ति नहीं आयी। चिकित्सकों ने भी जवाब दे दिया। पूरी तरह बेड पर रहते रहते जीवन बिलकुल निरस हो गया। कई चिकित्सकों से संपर्क किया, सबका एक ही जवाब। कोई उम्मीद नहीं बची तो परिजनों के सलाह पर बिस्तर पर लेटे-लेटे ही योग करना आरंभ कर दी। एक माह बाद कुछ फायदा दिखने लगा। फिर प्रशिक्षित योगाचार्य के मार्गदर्शन में योग का अभ्यास नियमित जारी रखी। तीन माह बीतते-बीतते शशि प्रिया के पांव की शक्ति लौटने लगी। छह माह बाद वो बिलकुल ठीक हो गई। पहले की तरह चल फिर ही नहीं आत्म विश्वास के साथ दौर भी सकती है। योग शक्ति से इतनी प्रभावित हुई कि हाई कोर्ट की प्रैक्टिस छोड़ योग शिक्षिका बन दूसरों को योग सिखा रही हैं।
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योग अभ्यास से कैंसर को हराकर पाया नवजीवन
नियमित योग अभ्यास से ब्लड कैंसर तक ठीक हो सकता है। इसका उदाहरण रातू रोड हेहल निवासी 40 वर्षीय ऋषि शाहदेव हैं। 2003 में ऋषि शाहदेव को ब्लड कैंसर का पता चला। लक्षण कुछ ठीक नहीं लगे तो रांची के चिकित्सकों ने मुंबई जाने की सलाह दी। वहां के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में दोबारा जांच कराया तो रिपोर्ट पॉजिटिव निकला। रोग शरीर में जड़ें जमा चुका था। डॉक्टर साफ-साफ कुछ भी कहने से कतरा रहे थे। समझते देर नहीं लगी डॉक्टर जवाब दे चुके हैं। जीवन में शून्यता आ गई। क्या करें, कुछ समझा नहीं। दवा तो शुरू कर दिया, लेकिन कोई ज्यादा लाभ नहीं। आर्ट ऑफ लीविंग से पूर्व से ही जुड़े थे, लेकिन समयाभाव के कारण योग अभ्यास से दूर हो गए थे। फिर से इसे शुरू करने का निश्चय किया। नियमित सुदर्शन क्रिया से ब्लड कैंसर को मात दे दी। इस घटना के बाद ऋषि शाहदेव योग शिक्षक बन गए। खुद तो नियमित योग करते ही हैं कई अन्य लोगों को गंभीर बीमारियों से मुक्ति दिलायी।