मंदिर की संपत्ति बचाने के लिए सरकार दाखिल करे पुनर्विचार याचिका
रांची श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ का कहना है कि मंदिर की संपत्ति बचाने के लिए सरकार को पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए।
राज्य ब्यूरो, रांची : श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कानून के जानकार मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का कोई रास्ता नहीं बनता है। वहीं, वादी के अधिवक्ता इस आदेश को पूरी तरह से पढ़ने के बाद इसके खिलाफ रिव्यू याचिका दाखिल करने की बात कह रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में मंदिर की जमीन के स्थानांतरण को सही ठहराते हुए इसे सिविल विवाद बताया है। इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थी के अधिवक्ता कहते हैं कि अब इस मामले में निचली अदालत में टाइटल याचिका दाखिल किया जा सकता है, लेकिन मंदिर से सीधे जुड़े नहीं होने की वजह से अब उनके पास इसका अधिकार भी नहीं रह गया है।
हाई कोर्ट के अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र का मानना है कि इस मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो मंदिर की संपत्ति की लूट होती रहेगी। उनका कहना है कि जब मंदिर की संपत्ति का अवैध हस्तांतरण हुआ तो इसकी शिकायत सबसे पहले सरकार से ही की गई थी। इस मामले में शामिल बड़े लोगों के दबाव के चलते सरकार ने जब जांच कराना उचित नहीं समझा। तभी हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई। हाई कोर्ट ने भी इस बात को समझते हुए ही मामले की जांच सीबीआइ से कराने का निर्देश दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पहले राज्य की एजेंसी से जांच कराने की बात कहते हुए हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया। बता दें कि अतिश कुमार सिंह की याचिका पर ही हाई कोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया था।
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