अंडमान से 180 प्रवासी मजदूरों को लेकर रांची पहुंचा इंडिगो का चार्टर्ड विमान
गुरुवार की शाम 615 बजे अंडमान से 180 प्रवासी मजदूरों को लेकर विमान रांची पहुंचा।
जागरण संवाददाता, रांची : गुरुवार की शाम 6:15 बजे अंडमान से 180 प्रवासी मजदूरों को लेकर आ रहा इंडिगो का चार्टर्ड विमान बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के रनवे पर उतरा। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख व पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर एयरपोर्ट टर्मिनल के अंदर प्रवासी मजदूरों के स्वागत के लिए खड़े थे। उन्होंने अंडमान से रांची आए एक-एक मजदूर का स्वागत मुख्यमंत्री सुरक्षा किट, भोजन के पैकेट व पानी का बोतल देकर किया। फिर प्रवासी मजदूर एक-एक कर एयरपोर्ट के टर्मिनल से बाहर निकले और अलग-अलग जिलों के लिए जाने वाले बसों में बैठ गए। जिला प्रशासन के अधिकारी एक-एक प्रवासी से उनका जिला पूछ संबंधित बस की जानकारी दे रहे थे। अंडमान से हवाई यात्री कर रांची पहुंचे प्रवासी मजदूरों के चेहरे पर गजब का सुकून झलक रहा था। परदेश से अपने घर लौटने की खुशी में वे लॉकडाउन के दौरान हुई परेशानियों को भी भूल चुके थे। रांची पहुंचने के बाद उन्हें अपने-अपने घर पहुंचने की जल्दी थी।
दुमका के प्रवासी मजदूर झबलू राम, जीतलाल बास्की, बाबू साय, हरि मोहन व चंदन मंडल ने बताया कि आठ माह पहले वे काम करने व पैसा कमाने के उद्देश्य से अंडमान-निकोबार द्वीप गए थे। वहां प्रतिमाह 12 हजार रुपये कमाई हो रही थी। दो माह तक लॉकडाउन के दौरान काम बंद रहने के बाद भी कंपनी के मालिक ने सभी मजदूरों को अंडमान से रांची लौटते समय सात-सात हजार रुपये दिए। लॉकडाउन के दौरान कंपनी के मालिक ने भोजन-पानी का व्यवस्था भी उपलब्ध कराई थी। वहां इन प्रवासी मजदूरों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई।
इधर, सुरेंद्र इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड में काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि 30 मई को अंडमान से रांची वापसी के लिए वे अंडमान एयरपोर्ट पहुंच चुके थे। फिर भी कंपनी के मालिक सुरेंद्र ने उन्हें रांची नहीं आने दिया और बंधक बना लिया। गुमला जिला निवासी देवंती ने बताया कि अंडमान एयरपोर्ट से वापस लौटने के बाद घर वापसी की उम्मीद टूट चुकी थी। हमारे पास न तो विमान से लौटने के लिए पैसे थे और न ही कोई सहयोगी। फिर कुछ प्रवासी मजदूरों ने रांची में कांग्रेस नेताओं से बात कर पूरी घटना की जानकारी दी। उसके बाद जिस बिल्डर ने हमें बंधक बनाया था, उसी ने सूचना दी कि झारखंड सरकार ने हमें विमान से अंडमान से रांची भेजने की व्यवस्था कराई है। लोहरदगा निवासी बबीता ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में जिन मजदूरों ने काम किया उन्हें बिल्डर ने बकाए पैसे का भुगतान किया, लेकिन जिन मजदूरों ने लॉकडाउन की अवधि में काम नहीं किया, उन्हें एक रुपये भी नहीं दिए गए।
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प्रवासी मजदूरों को विमान से लाकर उनके सपनों को हकीकत में बदला गया। सरकार की संवेदनशीलता से उन्हें सुखद अनुभव हुआ। आगे भी यह प्रयास जारी रहेगा। प्रवासी मजदूरों के अपने राज्य में लाकर उन्हें सम्मान देने का काम किया गया है। जब इस राज्य का अंतिम व्यक्ति दूसरे राज्यों से अपने घर तक पहुंच नहीं जाता, यह प्रयास जारी रहेगा।
- बादल पत्रलेख, कृषि मंत्री।
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हम जुमलेबाजी की राजनीति नहीं करते। जब मुख्यमंत्री ने प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज से लाने की बात कही थी तो विपक्ष के कई लोगों ने चुटकी ली थी। हालांकि झारखंड सरकार ने बखूबी प्रवासी मजदूरों से किए गए वादे को निभाया। अब इन प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य में ही काम उपलब्ध कराया जाएगा। इस दिशा में जोरशोर से काम चल रहा है।
- मिथिलेश ठाकुर, मंत्री, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग।
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किस जिले के कितने प्रवासी मजदूर
धनबाद : 03
गिरिडीह : 02
गोड्डा : 02
साहिबगंज : 01
दुमका : 84
पलामू : 24
लोहरदगा : 01
गढ़वा : 01
खूंटी : 12
सिमडेगा : 13
गुमला : 04
रांची : 08
पूर्वी सिंहभूम : 01
अन्य : 24