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झारखंड की महिला किसानों ने इजरायल में सीखे खेती के गुर

झारखंड से इजरायल गई महिला किसानों ने वहां तीसरे दिन खेती में बेहतर तकनीक के इस्तेमाल के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने देखा कि इजरायल के किसान कैसे समृद्ध हैं।

By Edited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 01:30 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 01:34 PM (IST)
झारखंड की महिला किसानों ने इजरायल में सीखे खेती के गुर
झारखंड की महिला किसानों ने इजरायल में सीखे खेती के गुर

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड से इजरायल गई महिला किसानों ने वहां तीसरे दिन खेती में बेहतर तकनीक के इस्तेमाल के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने देखा कि इजरायल के किसानों के पास अपने क्षेत्रों में मौसम संबंधी गैजेट्स होते हैं जो तत्काल मौसम परिवर्तन का पूर्वानुमान बताते हैं। इसके बाद किसान मौसम की स्थिति और परिवर्तनों के कारण फसल को नष्ट होने से बचाने का उपाय करते हैं। यहा पर ग्रीनहाउस बहुत ज्यादा प्रचलित है। इसके जरिए पूरे वर्ष नियंत्रित वातावरण में सब्जियों को उगाया जाता है। इसके जरिए यहा पर फूलगोभी, टमाटर, ककड़ी आदि उगाने में सहायता मिलती है। यहा पर ड्रिप सिंचाई होती है।

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यहां की सरकार जल संरक्षण के तरीकों को भी बढ़ावा देती है इसलिए किसान सिंचाई के ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद सभी किसानों ने एक डेयरी फार्म का दौरा किया। जहा पर करीब तीन सौ गायें हैं। इजरायल दुग्ध उत्पादन में विश्व में अग्रणी है। इन गायों को सत्तर साल पहले बेल्जियम से लाया गया है। उनमें इजरायल की गर्म और सूखे की स्थितियों में जीवित रहने के लिए गर्भाधान और प्रजनन प्रणाली विकसित की गई थी। डेरी फार्म के लोग वर्ष भर स्थितियों को समान रखने की कोशिश करते हैं ताकि गायों के लिए आरामदायक माहौल बना रहे। साढ़े आठ फीसद गाय हर साल बछड़े को जन्म देती हैं।

सभी गायों का कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है। जब गाय गर्भवती होती है तो यह हार्मोन के कारण गर्म होती है इसलिए उन्हें ठंडा रखने के लिए शेड बनाए जाते हैं। कोई ठोस शेड नहीं बनाया गया है। इन गायों में मुख्य बीमारिया पाचन समस्या, खुर समस्या और गर्भावस्था है। इसको दूर करने के लिए शेड में कंक्रीट का फर्श नहीं होता है। इसकी वजह से 90 फीसद खुर की समस्याओं को दूर किया जाता है। गायों के खाने का क्षेत्र नमी वाला होता है और आराम करने के लिए सूखी जगह होती है।

गाय एक दिन में लगभग 40 लीटर दूध देती है। गर्मी होने की वजह से गाय लगभग 120-200 लीटर पानी पीती है। दिन में दो बार उसे पानी दिया जाता है। घास काटने के बाद ही उन्हें खाने के लिए दी जाती है। प्रत्येक गाय में एक पेडोमीटर होता है जो गाय के स्वास्थ्य की स्थिति को बताता है। झारखंड में इजरायल की तरह ही गायों के लिए शेड, उनके रहने के लिए पर्याप्त जगह और भोजन देकर ऐसा माहौल तैयार किया जा सकता है।


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