Jharkhand: झारखंड में सड़क किनारे हडिया-दारु बेचती नहीं दिखेंगी महिलाएं
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड में अब कोई भी महिला सड़क पर हड़िया-दारु बेचती नही दिखेगी। यह सरकार का संकल्प है। मंगलवार को झारखंड मंत्रालय सभागार में आजीविका संवर्धन हुनर अभियान-आशा एवं फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान का शुभारंभ...
रांची (राज्य ब्यूरो) । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड में अब कोई भी महिला सड़क पर हड़िया-दारु बेचती नही दिखेगी। यह सरकार का संकल्प है। मंगलवार को झारखंड मंत्रालय सभागार में आजीविका संवर्धन हुनर अभियान-आशा एवं फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान का शुभारंभ तथा पलाश ब्रांड के अनावरण के मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्य महिलाएं मजबूरी में करती हैं।
हड़िया-दारु बनाने और बेचने वाली महिलाओं को अब आजीविका से जोड़कर मुख्यधारा में लाने का काम सरकार करेगी। अभियान चलाकर इन महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा। सरकार ने इसकी शुरुआत कर दी है। समाज में हड़िया-दारु एक अभिशाप है। राज्य में कई जगहों पर महिलाओं ने हड़िया-दारु के उत्पादन का विरोध भी किया है। शराब बेचकर परिवार चलाने के लिए अब महिलाएं मजबूर न हों, इसके लिए तीन अभियान आरंभ किए गए हैं।
पलाश ब्रांड के तहत बिकेंगे उत्पाद
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण में पलाश ब्रांड मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह सरकार का ब्रांड है। जो भी उत्पाद इस ब्रांड के अंतर्गत रखी जाएगी अथवा बेची जाएगी वह पलाश के नाम से बिकेगा। पलाश ब्रांड को सही तरीके से बढ़ाने में अगर हम कामयाब होंगे तो इसकी सीमाएं बहुत आगे तक जाएंगी। मुख्यमंत्री ने टाटा एवं अमूल का भी उदाहरण दिया। कहा कि लिज्जत पापड़ एवं अमूल का सारा उत्पाद महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाया जाता है।
पलाश ब्रांड को भी महिलाओं द्वारा उत्पादन किए गए उत्पाद से ही आगे ले जाना है। पलाश ब्रांड में फिलहाल सिर्फ खाने-पीने के ही उत्पाद हैं। आने वाले समय में जूता, चप्पल, साड़ी इत्यादि भी पलाश ब्रांड के तहत बेची जा सकेगी। वे स्वयं अपने घर में पलाश ब्रांड के उत्पाद का उपयोग करेंगे। उन्होंने उत्पाद की बिक्री वाले वाहन को भी झंडी दिखाकर रवाना किया।
योजनाओं से जुड़ेंगे 17 लाख परिवार
सरकार की नई योजनाओं से 17 लाख परिवारों को जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सखी मंडलों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए 600 करोड़ रुपये दिए गए हैं। उन्होंने स्वयं दुमका में 150 करोड़ रुपये सखी मंडलों के बीच बांटा है। राज्य की महिलाएं एक-एक सीढ़ी आगे बढ़ रही हैं। इसे मिलकर गति देने का काम करना है।
क्या है अभियान
आजीविका संवर्धन हुनर अभियान-आशा-ग्रामीण महिलाओं को आजीविका के सशक्त साधनों से जोड़ा जाएगा। कृषि आधारित आजीविका, पशुपालन, वनोपज संग्रहण एवं प्रसंस्करण, उद्यमिता समेत स्थानीय संसाधनों से जुड़े स्वरोजगार के अवसर भी ग्रामीण महिलाओं को उपलब्ध कराए जाएंगे। मिशन सक्षम के डेटाबेस में दर्ज 4.71 लाख प्रवासियों में से करीब 3.6 लाख प्रवासियों के परिवार को फायदा होगा। करीब 1200 करोड़ की राशि का प्रावधान होगा।फुलो झानो आशीर्वाद योजना-हड़िया-दारु के निर्माण एवं बिक्री से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को चिन्हित कर सम्मानजनक आजीविका के साधनो से जोड़ा जाएगा।
महिलाओं का सर्वेक्षण मिशन नवजीवन के तहत किया जा चुका है। काउंसेलिंग कर मुख्यधारा के आजीविका से जोड़ने का कार्य किया जाएगा। चिन्हित महिलाओं को इच्छानुसार वैकल्पिक स्वरोजगार एवं आजीविका से जोड़ने का कार्य किया जाएगा। पलाश – ग्रामीण महिलाओं की श्रमशक्ति का सम्मान-ग्रामीण विकास विभाग ने सखी मंडल की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों को पलाश ब्रांड के तहत बाजार से जोड़ने की तैयारी की है। राज्य की ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों को अच्छी पैकेजिंग, ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग की सुविधा दी जाएगी।
सरकार रोजगार देने में सक्षम
आलमगीर इस अवसर पर ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि अब महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा उत्पादन किए गए उत्पादों को पलाश ब्रांड के अंतर्गत बेचने का काम किया जाएगा। तीनों योजनाओं को धरातल पर उतारकर राज्य को आर्थिक मजबूती देना है। कोविड-19 संक्रमण काल में भी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में झारखंड ने हर क्षेत्र में अच्छा काम कर दिखाया है।