बीएयू की मदद से 20 हेक्टेयर भूमि में की जाएगी अरहर की खेती
बीएयू के प्रयास से रांची जिले के 132 किसानों की जमीन पर अरहर की उन्नत किस्म की खेती की जाएगी।
जागरण संवाददाता, रांची : आइसीएआर नई दिल्ली और भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर के सौजन्य से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय समन्वित अरहर शोध परियोजना चलाया जा रहा है। इस परियोजना के तहत चालू खरीफ मौसम में रांची जिले के चान्हो प्रखंड के कुल्लू और चुटिया गांव के 50 किसानों के सात हेक्टेयर भूमि और मांडर प्रखंड के ब्राम्बे गांव के 12 किसानों के तीन हेक्टेयर भूमि में अरहर किस्म आइपीए - 203 का अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण(एफएलडी) कराया जाएगा। इस परियोजना में ट्राइबल सब प्रोग्राम के तहत चान्हो प्रखंड के कंजागी और मंडिया गांव के 40 जनजातीय किसानों के सात हेक्टेयर भूमि और मांडर प्रखंड के सकरपदा गांव के 30 किसानों के तीन हेक्टेयर भूमि में अरहर के पांच किस्मों जैसे आइपीए - 203, बीएयू पीपी 09-22, बहार, बिरसा अरहर-1 तथा जेकेएम -189 पर अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण (एफएलडी) कराया जाएगा।
बुधवार एवं गुरुवार को परियोजना अन्वेंशक डॉ नीरज कुमार के नेतृत्व में बीएयू वैज्ञानिकों में चान्हो प्रखंड के कुल्लू, चुटिया, कंजागी और मंडिया गांव तथा मांडर प्रखंड के सकरपदा एवं ब्राम्बे गांव का दौरा कर एफएलडी के लिए 62 प्रगतिशील किसान तथा 70 जनजातीय किसानों का चयन किया। इनके बीच अरहर के 5 उन्नत किस्मों के बीज का वितरण किया गया। डॉ. नीरज ने कहा कि झारखंड में अरहर की उत्पादकता राष्ट्रीय उत्पादकता से अधिक होने के कारण यहां उन्नत किस्मों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। दल में डॉ एस कर्मकार, डॉ विनय कुमार तथा डॉ एचसी लाल शामिल थे। फैक्ट
02 लाख हेक्टेयर भूमि में राज्य में होती है अरहर की खेती
832 किलो प्रति हेक्टेयर अरहर की है राष्ट्रीय उत्पादकता
1095 किलो प्रति हेक्टेयर झारखंड में है अरहर की उत्पादकता