विधानसभा में पारा शिक्षकाें के मामले पर जोरदार हंगामा, कार्यवाही कल तक स्थगित
Jharkhand Assembly. झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक कार्यस्थगन प्रस्ताव अस्वीकृत करने के विरोध में वेल में आ गए।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विधानसभा का शीतसत्र के दूसरे दिन बुधवार को भी सदन पारा शिक्षकों के मुद्दे पर गरमाया रहा। कार्यस्थगन प्रस्ताव अस्वीकृत होने पर जहां दोपहर दो बजे तक के लिए पहले कार्यवाही स्थगित कर दी गई । वहीं दो बजे के बाद कार्यवाही शुरू होते ही आसन के समीप वेल में आकर दर्जनभर विधायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इससे सदन की कार्यवाही गुरुवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। यहां पारा शिक्षकों के समर्थन में विपक्षी दलों के विधायकों ने हाथों में तख्तियां लेकर सुबह में ही मुख्य द्वार पर जमकर नारेबाजी की। कार्यवाही आरंभ होने के बाद पारा शिक्षकों के मसले पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक वेल में धमके हैं। दर्जन भर विधायक वेल में उतरे। इस क्रम में द्वितीय अनुपूरक बजट सदन में पेश किया गया है। सत्ता पक्ष पारा शिक्षकों के मसले पर ध्यानाकर्षण के तहत सदन में चर्चा कराने के पक्ष में है तो विपक्ष कार्य स्थगन प्रस्ताव की मांग कर रहा है। इस बीच विधायकों के नारेबाजी के साथ ही 3 विधेयक पारित और 2 विधेयक वापस हो गए है़ं।
नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव से कार्यस्थगन प्रस्ताव को स्वीकृत करने की मांग उठाई। इस दौरान संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि सरकार पारा शिक्षकों के मसले पर चर्चा कराने को तैयार है। विपक्ष का कार्यस्थगन प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया गया है। इसके बाद विपक्षी दलों के विधायक कार्यस्थगन प्रस्ताव का विरोध करते हुए वेल में आकर नारेबाजी कर रहे हैं।
बता दें कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बुधवार को पारा शिक्षकों के मसले पर सदन की कार्यवाही हंगामेदार रही है। विपक्ष ने एक स्वर में इसे उठाते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की है। इससे पहले सोमवार को सत्र के पहले दिन भ्ाी झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने जहां इस मामले को प्रमुखता से उठाया था वहीं भाकपा (माले) के राजकुमार यादव वेल में आ धमके थे। झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक पारा शिक्षकों की मांग से संबंधित नारे शर्ट और टोपी पर लिखवाकर सदन के भीतर बैठे थे।
बुधवार को सदन आरंभ होने के पहले विपक्षी विधायकों ने मुख्य द्वार के समक्ष भी मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद की थी। सदन के भीतर स्पीकर दिनेश उरांव के बार-बार समझाने के बाद भी वेल में पहुंचे विधायक अपनी सीट पर वापस जाने को तैयार नहीं हुए। इस क्रम में अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी। विपक्षी सदस्यों ने पारा शिक्षकों से जुड़ी मांगों को उठाना जारी रखा हुआ है। विपक्षी सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर नारेबाजी भी की । विपक्षी सदस्यों ने इसे लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव की सूचना दी लेकिन आसन ने इसे अस्वीकृत कर दिया।
पारा शिक्षकों के मसले पर सत्तापक्ष को भी नफा-नुकसान का अहसास है। इसे देखते हुए विधानसभा में सत्तापक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने ध्यानाकर्षण की सूचना दी है। उन्होंने इसमें जिक्र किया है कि राज्य के लगभग 68 हजार पारा शिक्षक वेतनमान और मानदेय में वृद्धि समेत अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर 15 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं। वे लगातार विधायकों और मंत्रियों के आवास के समक्ष धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं। आंदोलन के कारण लगभग 39 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पठन-पाठन पूरी तरह बाधित है। इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
हो सकती है पारा शिक्षकों पर चर्चा : विधानसभा में गरमागरमी के माहौल को देखते हुए पारा शिक्षकों के मसले पर सदन में चर्चा हो सकती है। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में भी इस पर सहमति बनी है। स्पीकर दिनेश उरांव की अध्यक्षता में हुई कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में विपक्षी सदस्यों के साथ सत्तापक्ष के सदस्यों ने भी पारा शिक्षकों की मांग पर चर्चा कराने पर जोर दिया। स्पीकर दिनेश उरांव ने सबकी बातें सुनने के बाद कहा कि यदि दोनों पक्ष तैयार हैं तो इसपर चर्चा होनी चाहिए।
भूख हड़ताल पर रहे पारा शिक्षक : स्थायीकरण तथा दंडात्मक कार्रवाई वापस लिए जाने की मांग को लेकर पारा शिक्षक मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भूख हड़ताल पर रहे। ये विधायकों के आवास पर धरना के क्रम में ही भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनका भूख हड़ताल का यह कार्यक्रम विधानसभा के शीत सत्र के दौरान अर्थात 27 दिसंबर तक चलता रहेगा। इधर, पारा शिक्षक नेताओं ने मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम तथा झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव को अपनी मांगों के समर्थन में कई दस्तावेज सौंपे। विधायकों ने उनकी मांगों को बुधवार को सदन में पुरजोर ढंग से उठाने का भरोसा दिलाया।