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सरकार बेदाग तो मुख्य सचिव से इतना प्रेम क्यों : प्रदीप यादव

रांची : पहली पाली में झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने बार-बार सत्तापक्ष को असहज किया। शु

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jan 2018 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jan 2018 03:01 AM (IST)
सरकार बेदाग तो मुख्य सचिव से इतना प्रेम क्यों : प्रदीप यादव
सरकार बेदाग तो मुख्य सचिव से इतना प्रेम क्यों : प्रदीप यादव

रांची : पहली पाली में झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने बार-बार सत्तापक्ष को असहज किया। शुरुआत में ही उन्होंने विवादित अफसरों को कार्यमुक्त करने की मांग उठाई। कहा, जेल में बंद होने वाले अफसरों को बचाने की क्या आवश्यकता है। सरकार अगर बेदाग है तो मुख्य सचिव से इतना प्रेम क्यों हैं? गंगोत्री अगर मैली होगी तो गंगा कैसे निर्मल होगी? डीजीपी के खिलाफ पहले भी 514 आदिवासी नौजवानों को नक्सली बताकर रखने का आरोप है। एडीजी एमवी राव ने उनके खिलाफ पत्र लिखा। उन्होंने तमतमाते हुए आसन तक जाकर स्पीकर को पत्र सौंपा। आरोप लगाया कि सरकार के रवैये के कारण सदन नहीं चल रहा है। स्पष्ट कहा कि सरकार इन अफसरों को हटाए। सीएस आता-जाता रहता है। सब गड़बड़झाला है। सदन में बहस का परिणाम निकलना चाहिए। एडीजी ने अपने पत्र में लिखा है कि डीजीपी ने उनपर दबाव डाला। प्रदीप यादव ने यहां तक कहा कि मुख्य सचिव को इसलिए सरकार बचा रही है कि फरवरी तक दिल्ली के इशारे पर उनसे और गलत काम कराना है।

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बोले राधाकृष्ण किशोर, पहले क्यों नहीं की कार्रवाई

विपक्ष के सवालों को अपने तर्क और नियमों की विवेचना से सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने थोड़ा कुंद किया। विधायी नियमों की जटिलता को लेकर उनकी प्रदीप यादव से बहस भी हुई। उन्होंने दावा किया कि मुख्य सचिव के खिलाफ सबसे पहले कार्रवाई रघुवर दास की सरकार ने की। अबतक मुख्य सचिव से कई बार जवाब मांगे गए लेकिन किसी ने उनसे जवाब तलब नहीं किया। सिर्फ हमारी सरकार ने स्पष्टीकरण मांगा। पुलिस महानिदेशक के खिलाफ बकोरिया मुठभेड़ का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। प्रदीप यादव ने जब कहा कि सरकार नियमों की आड़ में भ्रष्ट अफसरों को बचाना चाहती है तो उन्होंने कहा कि प्रदीप यादव को और अध्ययन करना चाहिए।

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नियमों में उलझाना ठीक नहीं : सुखदेव

कांग्रेस के सुखदेव भगत ने सत्तापक्ष की घेराबंदी करते हुए कहा कि कार्रवाई की बात से सरकार क्यों भाग रही है। इसे नियमों में उलझाना ठीक बात नहीं है। अबतक क्या कार्रवाई हुई, सरकार बताए? संवैधानिक संस्थाओं ने सरकार को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा है, उसमें की गई कार्रवाई के बारे में बताना चाहिए। विपक्ष को सरकार से जवाब चाहिए।

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