झारखंड में प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से प्राइवेट बैंकों ने आखिर क्यों बनाई दूर
12 हजार से अधिक आवेदन हुए अस्वीकृत। झारखंड में पीएम स्वनिधि योजना का बुरा हाल। इस वित्तीय वर्ष के लिए 80 हजार का है लक्ष्य और अबतक 27 हजार आवेदन हुए हैं स्वीकृत। निजी बैंकों ने योजना से तकरीबन पूरी तरह से बना रखी है दूरी।
रांची, (राज्य ब्यूरो)। स्ट्रीट वेंडरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश भर में शुरू की गई पीएम स्वनिधि योजना झारखंड में परवान नहीं चढ़ रही है। इस योजना के तहत ऐसे स्ट्रीट वेंडर जो फल, सब्जियां बेचते हैं या रेहड़ी पर छोटी-मोटी दुकान लगाते हैं, उन्हें दस हजार रुपये तक का ऋण आसानी से बैंकों के माध्यम से मुहैया कराया जाता है। योजना की खास बात यह है कि जो स्ट्रीट वेंडर एक साल के भीतर ऋण चुका देते हैं, उनके ब्याज का भुगतान सरकार के स्तर से किया जाता है।
पीएम स्वनिधि योजना जून 2020 को देश भर में हुई थी लांच
पीएम स्वनिधि योजना जून 2020 को देश भर में लांच हुई थी। इस योजना की झारखंड में इस वित्तीय वर्ष की प्रगति कुछ खास संतोषजनक नहीं है। इस वित्तीय वर्ष के लिए राज्य में 80 हजार स्ट्रीट वेंडरों को इस योजना के तहत ऋण मुहैया कराए जाने का लक्ष्य तय किया गया है, इसके सापेक्ष 27148 आवेदनों को बैंकों द्वारा स्वीकृति दी गई है। जबकि 48 हजार से अधिक आवेदन पोर्टल पर अपडेट किए गए हैं। इनमें साढ़े 12 हजार से अधिक रिजेक्ट कर दिए गए हैं। जाहिर है, फिलहाल उपलब्धि एक तिहाई ही दिख रही है। पीएम स्वनिधि योजना को लेकर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का रवैया तो कुछ हद तक ठीक कहा जा सकता है लेकिन लेकिन निजी बैंक पूरी तरह से उदासीन दिखे हैं। कुल स्वीकृत आवेदनों में से 80 प्रतिशत से अधिक को पीएसयू बैंकों द्वारा ऋण मुहैया कराया गया है।
बढ़ रही रिजेक्ट होने वाले आवेदनों की संख्या, एनपीए भी बना वजह
झारखंड में एनपीए रिकार्ड स्तर पर है। एनपीए नौ प्रतिशत से अधिक पहुंच चुका है। यही वजह है कि बैंक ऋण जारी करने को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं। 48 हजार में से 12 हजार से अधिक आवेदनों का रिजेक्ट होना यही दर्शा रहा है। आवेदनों के रिजेक्ट होने का मसला पहले भी उठा था जिस पर ङ्क्षचता जताई गई थी। लेकिन इसका कोई फर्क सितंबर तिमाही तक नहीं दिखा। रिजेक्टेड आवेदनों की संख्या 10428 से बढ़कर 12891 हो गई।