Move to Jagran APP

Weekly News Roundup Ranchi: सैनिटाइजर ने पुलिस वालों को बना दिया शराबी, पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup. पुलिस विभाग में यह पता लगाना ही मुश्किल हो गया है कि वहां बैठा अधिकारी शराब पीकर आया है या फिर सैनिटाइजर लगाकर।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 21 Mar 2020 11:14 AM (IST)Updated: Sat, 21 Mar 2020 05:34 PM (IST)
Weekly News Roundup Ranchi: सैनिटाइजर ने पुलिस वालों को बना दिया शराबी, पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Ranchi: सैनिटाइजर ने पुलिस वालों को बना दिया शराबी, पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरूनी खबर

रांची, [दिलीप कुमार]। Weekly News Roundup Ranchi कोरोना का कहर क्या बरपा, लोगों को स्वच्छ बनाते-बनाते सैनिटाइजर ही शराबी बन गया। कुछ विभागों में तो यह पता लगाना ही मुश्किल हो गया है कि वहां बैठा अधिकारी शराब पीकर आया है या सैनिटाइजर लगाकर। भारी कन्फ्यूजन होने लगा है कि कौन विभाग में पहुंच गए हैं। सब जगह उत्पाद विभाग ही महसूस होने लगा है।

loksabha election banner

वैश्विक महामारी कोरोना के दहशत ने सबको इस कदर चिंता में डाला कि स्प्रिट की गंध प्यारी लगने लगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩे वाले एक विभाग में ऐसा ही दृश्य था। महामारी का भय चेहरे पर था, और हंसी-ठिठोली भी खूब चल रही थी। एक ने कहा कि विभाग में शराब पर पाबंदी है न, सैनिटाइजर तो ला ही सकते हैं। थोड़ा-थोड़ा इसे ही लिया करो, शराब का पूरा मजा मिलेगा।

खाकी में हड़कंप

खाकी वाले विभाग में इन दिनों हड़कंप मचा है। यहां नया राज जो आ गया है। नई सरकार का कामकाज का तरीका जरा हटकर है। इतिहास गवाह है कि जिनसे सम्मान पाया, उनके ही हाथों में हथकड़ी भी पहनाने में देर नहीं की। खाकी वाले विभाग का मुखिया बनते ही दो दिनों के भीतर इन्होंने ऐसा संंदेश दिया है कि भ्रष्टाचार से लबालब भरे लोगों में खलबली मच गई है।

कुछ इससे खासे परेशान-हलकान हैं। लग रहा है कि गर्दन अब फंसी कि तब। कुछ ठिकाना तलाशने लगे हैं। उनकी इस बीमारी को देखकर इमानदारी से कामकाज करने वालों की जमात में खुशी है। जिन्हें कमान मिली है, वे लगातार हाशिये पर रहे हैं। उनके तेवर के चलते लोग उनसे जलते और छिटकते भी रहे। अब हवा का रुख क्या बदला, सबकुछ उल्टा-पुल्टा दिख रहा है। सब को आने वाले वक्त का इंतजार है।

तोता-मैना की कहानी

किस्मत हर वक्त एक जैसी नहीं होती। कब किसके दिन फिर जाएं, कहा नहीं जा सकता। इस सच्चाई को जानते हुए भी खाकी वाले विभाग के एक बड़े साहब खुद को तोप समझ बैठे थे। उनके लिए काम करने वाला भी कब फर्श से अर्श पर पहुंच गया, उन्हें भी पता नहीं चला। बड़े-बड़े अधिकारी उसके सामने बौने थे, क्योंकि वह साहब का सबसे करीबी जो था। कहावत भी है कि अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान।

यही चल भी रहा था। साहब का अनुराग शुरू से ही राजनीति में रहा। जातिवाद का कार्ड खेलने से न तब चूके न अब चूक रहे। दूसरे के करियर पर वार करने वाले इस साहब का करियर ही अब खतरे में है। जो उनके इशारे पर तोता-मैना बनकर उड़ते थे, अब वही कहानी बन रहे हैं। किस्मत देखिये, कभी बुलंदियों पर रहे वही साहब अब कोने में पड़े-पड़े तोता-मैना की कहानी सुन रहे हैं।

अफसर नहीं हिटलर कहिए

थाने के एक अधिकारी हिटलर की भूमिका में खुद को पेश करते हैं। हनक भी कुछ ऐसी ही। कमान राजधानी के एक प्रमुख थाने की है और उसके तेवर कुछ ऐसे हैं कि अपने सामने बड़े अधिकारी को भी कुछ समझते नहीं। उनकी मानें तो वे किसी को कहीं धो सकते हैं। गाली तो उनकी जुबान पर रहती है। अपराध पर लगाम कसने की बजाय वे कमजोरों को अपना निशाना बनाने में ज्यादा बहादुरी समझते हैं।

उनकी रुचि घरेलू हिंसा में कुछ ज्यादा ही है। जब चाहा, किसी की भी इज्जत उतार दी। उनके कानून में यह जायज है और इसके लिए उन्हें बकायदा परमिशन भी है। खुद की महिमा बताने में उनका कोई सानी नहीं। कोई चाहे तो छूकर दिखा दे। उनका यह सिंघम स्टाइल कहीं भारी न पड़ जाए। ऊपर वाले की नजर फिरते देर नहीं लगती। ऐसा हुआ तो हुजूर किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं बचेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.