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Weekly News Roundup Jharkhand: पद बड़ा है, पर मजा नहीं है... पढ़‍िए सरकारी दफ्तरों की अंदरुनी खबर

Weekly News Roundup Jharkhand अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि जिलों में मजा लेकर शीर्ष स्तर पर पहुंच चुके अफसरों को यह पद काटता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 04:42 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 04:48 PM (IST)
Weekly News Roundup Jharkhand: पद बड़ा है, पर मजा नहीं है... पढ़‍िए सरकारी दफ्तरों की अंदरुनी खबर
Weekly News Roundup Jharkhand: पद बड़ा है, पर मजा नहीं है... पढ़‍िए सरकारी दफ्तरों की अंदरुनी खबर

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। शिक्षा विभाग में कमिश्नरी स्तर पर आरडीडीई का पद होता है। कागज पर यह बहुत बड़ा पद होता है और राज्य शिक्षा सेवा के शीर्ष अफसरों को ही इसकी जिम्मेदारी दी जाती है। पहले यह पद खास माना जाता था, लेकिन जब से सर्व और समग्र शिक्षा की बात आ गई, तब से अब इस पद में कुछ मजा नहीं रह गया है। अब तो स्थिति हो गई है कि जिलों में मजा लेकर शीर्ष स्तर पर पहुंच चुके अफसरों को तो यह पद काटता है। पहले इस पद के लिए पैरवी-पहुंच लगती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। वरीयता में ऊपर पहुंच गए हैं, तो इसी पद पर पोस्टिंग हो जाती है। लेकिन इस बार इसका भी तोड़ निकाल लिया गया। आरडीडीई के साथ एक जिले की भी जिम्मेदारी का जुगाड़तंत्र काम कर गया। अब साहब के लिए पद भी है और पद का मजा भी। अब देखना है कि उनका जुगाड़तंत्र कितने दिनों तक काम करता है।

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सबको है पता उनके बीच का टकराव

दवा-दारू वाले विभाग में मंत्री और सचिव के बीच टकराव है, यह सबको पता है। नर्स से लेकर पारा मेडिकल कर्मियों तक को भी। सचिव के साथ वार्ता में बात नहीं बनने पर सचिवालय में मंथन कर रहे पारा मेडिकलकर्मी आगे की रणनीति बना रहे थे। संघ के जिला पदाधिकारियों से हड़ताल में बने रहने या हड़ताल तोड़ देने को लेकर मोबाइल पर ही रायशुमारी चल रही थी। इसी बीच, एक जीएनएम ने अपने संघ के पदाधिकारियों को सुझाव दिया, सचिव नहीं मानते तो क्या? मंत्री के पास चलते हैं। दोनों के बीच पटती नहीं है। ऐसे में मंत्री सचिव पर उनकी मांगे मानने के लिए दबाव बना सकते हैं। इसपर सभी ने हामी भरी। कहा, अच्छा सुझाव है। मंत्रीजी सचिव पर दबाव बनाने के ऐसे मौके तो खोजते हैं। विभाग में ही प्रतिनियुक्त एक अनुबंधकर्मी बीच में बोला, दोनों के बीच टकराव देखना है, तो फाइल में देखो। मुझे तो कभी-कभी देखने का मौका मिल जाता है।

ढल जाते हैं हुक्मरान

सरकारी कार्यालय समय और परिस्थितियों के अनुरूप अपने को ढालने की क्षमता रखते हैं। जब मौका मिला तो लगा दिया चौका। जब खुद पर आई तो बैकफुट पर हो लिए। यह फंडा आजादी के बाद से काफी कारगर रहा है। यह वक्त-बेवक्त मददगार भी रहा है। सिस्टम इसी के अनुकूल चलता है, सरकार चाहे जिसकी भी रही हो। मौजूदा वक्त संजीदा है और सरकारी हुक्मरान अपने को बच-बचाके इस संकट से निकाल लेना चाहते हैं। सिस्टम चाहे कुछ भी कहे। करना वही है, जो सरकारी दस्तावेज में लिखा है। परिस्थिति चाहे जो हो, तय मानकों का पालन करना है। वैसे, झारखंड की राजनीति की पहेली भी उलझी है। अक्सर यहां उलटफेर हो जाते हैं। इसीलिए सरकारी कार्यालयों के हुक्मरान भी फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहे हैं।

तबादले का खेल

सरकारी महकमे में तबादले को लेकर पूरा खेल होता है। ऐसा ही मामला किताब-कॉपी वाले विभाग में सामने आया है। शिकायत हाकिम से लेकर मंत्री तक पहुंची, तो तबादला रद हुआ। पिछले दिनों प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों के तबादले में एक जूनियर पदाधिकारी ने किसी खास को सेट करने के लिए वहां तैनात महिला पदाधिकारी की विदाई उसके नाम से फर्जी आवेदन बनाकर करवा दी। महिला पदाधिकारी की वहां तैनाती के तीन साल नहीं होने के कारण उन्हें हटाना संभव नहीं था। सो, उनके नाम से तबादले का फर्जी आवेदन बनाया गया, ताकि जगह खाली कर अपने खास को सेट किया जा सके। जानकारी विभाग के मुखिया को मिली, तो उन्होंने इसपर रोक लगाई। अब देखना है कि इस खेल में शामिल लोगों के विरुद्ध क्या कार्रवाई होती है।


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